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अघोरी शवों से क्यों बनाते हैं शारीरिक संबंध?

नई दिल्ली:अघोरी बाबा को सुनते ही मन में एक अलग छवि उभर आती है. उन्हें राख में लिपटे, मानव मांस खाने वाले और जादू टोना करने वाले साधुओं के रूप में जाना जाता है. संस्कृत भाषा में अघोरी शब्द का मतलब उजाला की ओर’ होता है. इसके साथ ही ये शब्द पवित्र और सभी बुराइयों […]

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Aaghori
  • November 10, 2024 1:50 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 month ago

नई दिल्ली:अघोरी बाबा को सुनते ही मन में एक अलग छवि उभर आती है. उन्हें राख में लिपटे, मानव मांस खाने वाले और जादू टोना करने वाले साधुओं के रूप में जाना जाता है. संस्कृत भाषा में अघोरी शब्द का मतलब उजाला की ओर’ होता है. इसके साथ ही ये शब्द पवित्र और सभी बुराइयों से मुक्त माना जाता है. परंतु अघोरियों की रहन-सहन ठीक इसके विपरीत हैं. अघोरियों की इस रहस्यमयी दुनिया से जुड़े कुछ अनजाने पहलू हम आपको बताते हैं.

इंसानों का कच्चा मांस खाते हैं

अघोरियों ने बहुत से इंटरव्यूज और डाक्यूमेंट्रीज में यह बात मानी है कि वह इंसान का कच्चा मांस खाते हैं. बता दें ये अघोरी श्मशान घाट में ही रहते हैं और आधी जली लाशों को निकालकर उनका मांस खाते हैं. शरीर के द्रव्य का इस्तेमाल करते हैं. इसके पीछे अघोरियों का मानना है कि ऐसा करने से उनकी तंत्र करने की शक्ति बढ़ती है. जो बातें आम लोगों को घृणित करती हैं. अघोरियों के लिए वह उनकी साधना का हिस्सा है.

शिव और शव के उपासक

अघोरी पूरी तरह से शिव में डूब जाना चाहते हैं. अघोर शिव के पांच रूपों में से एक है. शिव की आराधना के लिए ये अघोरी शव पर बैठकर साधना करते हैं. शव से शिव प्राप्ति का ये रास्ता अघोर संप्रदाय का लक्षण है. बता दें अघोरी 3 तरह की साधनाएं करते हैं, शव साधना, जिसमें शव को मांस और मदिरा का भोग लगाया जाता है. शिव साधना, जिसमें शव पर एक पैर पर खड़े होकर शिव की साधना की जाती है और श्मशान साधना, जहां हवन किया जाता है.

शव के साथ शारीरिक सम्बन्ध

यह बहुत प्रचलित मान्यता है कि अघोरी साधु शवों की पूजा करने के साथ-साथ उनके साथ शारीरिक संबंध भी बनाते हैं. इस बात को खुद अघोरी भी मानते हैं. अघोरी बताते है कि शिव और शक्ति की पूजा करने का यह एक तरीका है. अघोरी का कहना है कि पूजा करने का सबसे सरल तरीका है सबसे खराब स्थिति में भी भगवान के प्रति समर्पण करना. उनका मानना ​​है कि यदि शव के साथ शारीरिक क्रिया करते समय भी मन ईश्वर की भक्ति में लगा रहता है. इससे बढ़कर साधना का स्तर क्या हो सकता है.

केवल शव नहीं, जीवितों के साथ भी बनाते हैं सम्बन्ध: अन्य साधुओं की तरह अघोरी ब्रह्मचर्य का पालन नहीं करते. बल्कि वह शव पर राख से लिपटे मंत्रों और ढोल नगाड़ों के बीच शारीरिक सम्बंध बनाते हैं. ये शारीरिक सम्बन्ध बनाने की क्रिया भी साधना का ही हिस्सा है खासकर उस समय जब महिला की मासिक चल रहे हों. कहा जाता है कि ऐसा करने से अघोरियों की शक्ति बढ़ जाती है.

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