नई दिल्ली: बीयर की बोतलों का रंग अक्सर भूरा या हरा होता है, और इसके पीछे एक खास वैज्ञानिक कारण है। पहले बीयर की बोतलों का रंग सफेद या पारदर्शी हुआ करता था, लेकिन समय के साथ यह देखा गया कि बीयर की गुणवत्ता और स्वाद में बदलाव आ रहा है। इसका मुख्य कारण था सूर्य की किरणें, खासकर अल्ट्रावायलेट (UV) किरणें, जो बीयर के अंदर की रासायनिक संरचना पर असर डाल रही थीं।
सूर्य की UV किरणें बीयर के अंदर मौजूद हॉप्स (Hops) के साथ प्रतिक्रिया करती हैं। हॉप्स बीयर को उसका कड़वा स्वाद और खुशबू देने के लिए जिम्मेदार होते हैं, लेकिन जब ये किरणें इसके साथ प्रतिक्रिया करती हैं, तो इसका स्वाद खराब हो सकता है और इसमें एक प्रकार की गंध आने लगती है, जिसे “स्कंकी” गंध कहा जाता है। इस प्रभाव से बीयर का स्वाद बिगड़ जाता है और इसे पीने का अनुभव खराब हो जाता है।
बीयर को UV किरणों से बचाने के लिए भूरी और हरी बोतलों का उपयोग शुरू किया गया। भूरी बोतलें UV किरणों को अधिकतम मात्रा में रोकती हैं, जिससे बीयर की गुणवत्ता सुरक्षित रहती है। भूरी बोतलें लगभग 90% UV किरणों को ब्लॉक करती हैं। हरी बोतलें भी कुछ हद तक UV किरणों को रोकने में सक्षम होती हैं, हालांकि भूरी बोतलों जितनी नहीं।
भूरी बोतलों की मांग बढ़ने के बाद, कुछ निर्माताओं ने हरी बोतलों का उपयोग करना शुरू किया, क्योंकि भूरी बोतलें आसानी से उपलब्ध नहीं हो पाती थीं। इसके अलावा, हरी बोतलों का उपयोग धीरे-धीरे बीयर ब्रांडों के बीच एक “प्रिमियम” लुक का प्रतीक बन गया, जिससे इन्हें उच्च गुणवत्ता वाली बीयर से जोड़ा जाने लगा।
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