Anant Ambani : रिलायंस इंडस्ट्री के चेयरमैन मुकेश अंबानी के छोटे बेटे अनंत अंबानी की 12 जुलाई को शादी हो रही है. इस शादी में दुनियाभर के दिग्गज शामिल होने वाले है इस शादी की चर्चा दुनियाभर में हो रही है.अनंत अंबानी की शादी राधिका मर्चेंट से होने वाली हैं. इस शादी की रस्में पिछले […]
Anant Ambani : रिलायंस इंडस्ट्री के चेयरमैन मुकेश अंबानी के छोटे बेटे अनंत अंबानी की 12 जुलाई को शादी हो रही है. इस शादी में दुनियाभर के दिग्गज शामिल होने वाले है इस शादी की चर्चा दुनियाभर में हो रही है.अनंत अंबानी की शादी राधिका मर्चेंट से होने वाली हैं. इस शादी की रस्में पिछले चार महीने से चल रही हैं. इस बीच अनंत अंबानी की जिंदगी के कुछ महत्वपूर्ण पहलू को लोग जानना चाहते हैं. इसी साल मार्च में जामनगर में प्री-वेडिंग सेलिब्रेशन का आयोजन किया गया. इस प्री – वेडिंग सेलिब्रेशन में अनंत ने अपनी पूरी फैमिली के नाम एक इमोशनल स्पीच दिया और इस स्पीच में उन्होंने अपनी बीमारी का जिक्र किया था. आइए जानते हैं यह कौन सी बीमारी है जिससे अंबानी के लाडले परेशान हो गए थे, उससे कैसे बाहर निकले…
अनंत अंबानी को बचपन से ही अस्थमा है . इस बीमारी के इलाज के लिए उन्हें बचपन से स्टेरॉयड का हेवी डोज दिया गया था . जिसका साइड इफेक्ट्स अनंत को झेलना पड़ा. इस साइड इफेक्ट्स के कारण से उनका वजन काफी ज्यादा बढ़ता चला गया. उन्होंने वजन कम करने की लाख कोशिशें की लेकिन इससे कोई फायदा नहीं हुआ. हालांकि, बाद में बहुत मेहनत के बाद और अपनी लगन के दम पर उन्होंने काफी ज्यादा अपना वजन कम कर लिया था.
अनंत अंबानी ने उस वक्त सबको हैरान कर दिया था जब उन्होंने मात्र 18 महीने में ही अपना 108 किलो वजन कम कर लिया था.ये बात 2016 की है. तब अनंत अंबानी का वजन 208 Kg हो गया है. जिसे उन्होंने कम करने की सोची और डेढ़ साल के अंदर ही खूब पसीना बहाकर 108 किलो वजन कम कर लिया था. इसके कुछ समय के बाद ही उनका वजन फिर बढ़ने लगा.
1. सांस लेने में दिक्कत होना
2. सांस छोड़ते समत व्हीजिंग होती है.
3. सीने में दबाव महसूस होता है
4. इलाज में स्टेरॉयड लेने पर मोटापा जैसी समस्या हो सकती है.
हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार अस्थमा का कोई स्थायी इलाज नहीं है. अस्थमा के प्रभाव को कम करने के लिए मरीज को स्टेरॉयड दिया जाता है.बता दें कि आमतौर पर इनहेलर या टैबलेट के जरिए इसे कंट्रोल करने की कोशिश की जाती है. एनाल्जेसिक मेडिसिन इसके लक्षणों को कम कर सकते हैं. हालांकि, बीमारी की गंभीरता के आधार पर दवा की डोज दी जाती है.
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