इस्लाम में मौलवी, मुफ्ती,हाफिज और इमाम में क्या अंतर होता है? जानें यहांWhat is the difference between Maulvi, Mufti, Hafiz and Imam in Islam? Know here
नई दिल्ली : इस्लाम में मौलवी, आलिम, हाफिज, इमाम, उलेमा जैसे शब्द आपने किसी के मुंह से अक्सर सुना लेकिन ज्यादातर लोगों को इन शब्दों का मतलब नहीं पता होगा. यह सारे शब्द इस्लाम धर्म से जुड़े हुए हैं.इन शब्दों के गहरे मायने होते हैं लेकिन जानकारी के अभाव में इनके अंतर को जान ही नहीं पाते हैं. इनके अर्थ आइए जानते हैं
धार्मिक विद्वानों को इस्लाम धर्म में मौलवी कहा जाता है. मौलवी को हदीस से लेकर कुरान तक की संपूर्ण जानकारी होती है. वह इस्लामी धर्म के ग्रंथों का अध्ययन करते हैं. मस्जिदों में नमाज अदा कराने के अलावा मदरसों में बच्चों को इस्लाम के बारे में पढ़ाना धर्म के बारे में प्रवचन देना इनका काम है. मौलवी बनने के लिए आपको इस्लाम धर्म के ग्रंथों के बारे जानकर होने के साथ इस्लामिक शिक्षा भी लेनी पड़ती है.
मुफ्ती इस्लाम धर्म में अरबी भाषा का शब्द है. मुफ्ती से तात्पर्य मतलब एक ऐसी संस्था से है जो न्याय या इंसाफ दिलाने का काम करती है. इस्लाम धर्म में मुफ्ती एक पद होता है जो इस्लामिक कानून के साथ धार्मिक और सामाजिक विषयों पर अपनी राय देता है. भारत के ज्यादातर राज्यों में दारुल इफ्ता और दारूल कजा जैसी संस्था है, जो इस्लामिक शादी और धर्म के मामले में अपनी धार्मिक विचार रखते हैं. इसे फतवा कहते हैं. मुफ्ती बनने के लिए इस्लामिक ज्ञान की समझ होनी जरूरी है.
इस्लाम धर्म में उलेमा धार्मिक जानकारों के समूह होता है. उलेमा धार्मिक समुदायों के द्वारा चुना गया नेता होता है. जो इस्लामिक कानून के बारे में लोगों को जानकारी देता है. उलेमा बनने के लिए आपको इस्लामिक ग्रंथों के साथ शरीयत और कई तरह के कानूनों के बारे में अध्ययन करने की जरूरत होती है.
हाफिज इस्लाम धर्म में उसे कहा जाता है, जिसने कुरान का संपूर्ण अध्ययन किया हो. मस्जिद और मदरसों में हाफिज कुरान की शिक्षा देता है. हाफिज बनने के लिए कुरान के बारे में जानकारी होना जरूरी है.जिसे कुरान के बारे में समझ होती है वो हाफिज कहलाते हैं.
इस्लाम धर्म में इमाम लोगों को नेतृत्व करना होता है. इमाम का अर्थ है इमाम किसी भी मस्जिद में 5 वक्त की नमाज अदा करने के साथ पढ़ाता है.मस्जिदों के अंदर जब नमाज अदा की जाती है तब वह व्यक्ति सभी नमाजियों का नेतृत्व करता है. उसे इमाम कहते है. इमाम बनने के लिए किसी भी तरह की योग्यता की आवश्यकता नहीं होती है.
मौलवी धार्मिक विद्वान होते है.वह मदरसो में कुरान पढ़ाते है.
मुफ्ती का काम लोगों को न्याय और इंसाफ दिलाने का काम होता है.
उलेमा धार्मिक समुदाय का नेतृत्व करते है
हाफिज का काम मस्जिद में कुरान के बारे में शिक्षा देना होता है
इमाम उसे कहते है जो नमाज का नेतृत्व करता है.