HIV vs AIDS : एचआईवी एक तरह का वायरस है, जो शरीर के वाइट ब्लड सेल्स पर अटैक करता है। एचआईवी शरीर के इम्यून सिस्टम कमजोर कर देता है अगर सही समय पर इसका इलाज नही करने पर मौत की संभावना कई गुना तक बढ़ जाती है। हालांकि, संक्रमित व्यक्ति लगातार दवा लेता रहे, तो वह पूरी उम्र तक भी जी सकता है आइए जाने क्या है एचआईवी और एड्स
एचआईवी को ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस कहा जाता है। ये एक ऐसा वायरस है जो हमारे इम्यून सिस्टम को कमजोर करता है।और धीरे-धीरे सीडी4 नाम के सेल्स को नष्ट करना शुरू कर देता है.सही समय पर इलाज नहीं होने से अधिकतर लोगों में 10 साल के अंदर इम्यून डेफिशियेंसी विकसित होने लगती है।जिसके कारण शरीर संक्रमण से लड़ने में असमर्थ हो जाता है. ये शरीर को छोटी-मोटी चोट या बीमारी से आसानी से उबर नहीं पाता है. वहीं AIDS की बीमारी HIV के कारण होती है. जरूरी नहीं है कि हर HIV पॉजिटिव, एड्स की चपेट में आए बता दें कि एड्स केवल और केवल HIV पॉजिटिव को ही होता है.
एड्स HIV की एक लेटर स्टेज है. जब कोई इंसान एक बार एचआईवी पॉजिटिव हो जाता है.तो रिकवरी पॉसिबल नहीं होता है लेकिन दवाईयों की मदद से खतरनाक स्टेज पर पहुंचने से बचा जा सकता हैं. अगर समय रहते एचआईवी का इलाज नहीं हुआ तो यह बीमारी स्टेज 3 तक पहुंच जाता है. और एड्स बन जाता है.बहुत से लोग ऐसे भी होते है जिन्हें एचआईवी से संक्रमित है लेकिन उन्हें एड्स नहीं है.
दो से चार हफ्ते में इसके लक्षण दिखने लगते हैं.
2. इसकी शुरूआती लक्षण बुखार होना सर मे दर्द होना, दाने या गले में खराश जैसी समस्याएं होती है.और तेजी से वजन भी कम होना लगता है.दस्त खांसी और सूजन होती है
यह बीमारी कैसे होती है
WHO के अनुसार, एड्स कोई बीमारी नहीं है लेकिन एड्स होने से शरीर की इम्यूनिटी इतनी कमजोर हो जाती है और फिर शरीर उससे उबर नहीं पाता है. एड्स, एचआईवी वायरस के कारण होता है, ये असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित व्यक्ति के या प्रेगनेंसी में खून के जरिए या फिर डिलीवरी के दौरान संक्रमित मां से बच्चे तक फैल सकता है.
एचआईवी वायरस का अभी तक कोई इलाज सामने नहीं आया है. साउथ अफ्रीका में हाल ही में इससे बचने के लिए एक इंजेक्शन का सफल ट्रायल किया गया है.इस इंजेक्शन को साल में दो बार लगवा सकते है इस पर अभी काम जारी है. कुछ दवाईयों की मदद से एचआईवी को कंट्रोल कर सकते है और उसे खतरनाक स्टेज पहुंचने पर रोक सकते है एचआईवी की दवाईयों को एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (ART) कहते हैं. एचआईवी से बचने के लिए फिजिकल रिलेशन बनाते समय सावधानी रखना चाहिए. साफ-नई सिरिंज का ही इस्तेमाल करना चाहिए. बीमारी के लक्षण नजर आने पर तुंरत डॉक्टर के पास जाकर एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी लेना चाहिए.
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