नई दिल्ली: सोशल मीडिया के बढ़ते उपयोग का बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। विभिन्न अध्ययन और विशेषज्ञों की राय से पता चलता है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, और ट्विटर बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहे हैं।
आजकल के डिजिटल युग में, सोशल मीडिया बच्चों के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। इसके प्रभाव को लेकर चिंताएँ बढ़ रही हैं, खासकर बच्चों और किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य पर। बच्चे लगातार बिना पलके झपकाए मोबाइल पर कुछ न कुछ देखते रहते हैं। या तो वह गेम खेलते रहते हैं या फिर रील्स के चक्कर में लगातार स्क्रीन देखते रहते हैं। ऐसे में बच्चों के मस्तिष्क पर अधिक दबाव पड़ता है। वह अपने दोस्तों और परिवार से दूरी बनाने लगता हैं। कई माता पिता अपने बच्चों की इन्हीं आदतों से परेशान हैं।
1. आदी होने का खतरा: सोशल मीडिया प्लेटफार्म, विशेष रूप से छोटे वीडियो और रील्स, बच्चों को आकर्षित करते हैं और उन्हें आदी बना सकते हैं। यह आदीपन डोपामाइन के उत्पादन से जुड़ा है, जो आनंद और संतुष्टि की भावना देता है। यह लत बच्चों को वास्तविक दुनिया से दूर करती है और उनकी मानसिक स्थिति को प्रभावित कर सकती है।
2. आत्म-छवि और खाने के विकार: सोशल मीडिया पर लगातार दिखने वाले आदर्श छवियों और जीवनशैली के कारण बच्चों में आत्म-छवि की समस्याएँ और खाने के विकार उत्पन्न हो सकते हैं। यह स्थिति विशेष रूप से किशोर लड़कियों में देखी गई है, जहां अजनबियों द्वारा अनुचित संपर्क और टिप्पणियों से उनका आत्मविश्वास और मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है।
3. ध्यान और व्यवहार संबंधी समस्याएँ: सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग बच्चों में ध्यान की कमी और अति सक्रियता विकार (ADHD) को बढ़ा सकता है। यह बच्चों की ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को कम करता है और उनके व्यवहार में परिवर्तन ला सकता है।
4. फियर ऑफ मिसिंग आउट (FOMO):बच्चों में लगातार यह डर बना रहता है कि वे किसी महत्वपूर्ण चीज़ से चूक रहे हैं। इस कारण से वे बार-बार अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स को चेक करते रहते हैं, जिससे उनकी मेंटल हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है।
5. नींद की कमी: सोशल मीडिया के अत्यधिक उपयोग से बच्चों की नींद प्रभावित होती है, जिससे उनकी मानसिक स्थिति और अधिक खराब हो सकती है।
6. तनाव और अवसाद: बच्चों को सोशल मीडिया पर मिलने वाली नकारात्मक टिप्पणियों और ट्रोलिंग का सामना करना पड़ता है, जिससे उनमें तनाव और अवसाद बढ़ सकता है।
1. समय सीमा निर्धारित करें: बच्चों के सोशल मीडिया उपयोग के लिए समय सीमा निर्धारित करें।
2. माता-पिता की निगरानी: माता-पिता को बच्चों के सोशल मीडिया गतिविधियों पर नजर रखनी चाहिए और उन्हें सुरक्षित ऑनलाइन व्यवहार के बारे में जानकारी देनी चाहिए।
3. सकारात्मक गतिविधियाँ: बच्चों को सोशल मीडिया के बजाय सकारात्मक और रचनात्मक गतिविधियों में व्यस्त रखें, जैसे कि खेलकूद, कला, और संगीत।
Also Read…
छोटी बच्ची के सुपर हीरो बने सलमान खान, Bone Marrow देकर बचाई बच्ची की जान
भारतीय डाक में नौकरी पाने की इच्छा रखने वाले युवाओं के लिए बड़ी गुड न्यूज़…
अमेरिका ने ताइवान को 57 करोड़ डॉलर की सैन्य सहयोग देने की घोषणा कर दी…
एलन मस्क ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X के प्रीमियम प्लान्स की कीमतों में इजाफा कर…
उत्तर प्रदेश के बांदा से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां…
कामधेनु गाय, जिसे इच्छापूर्ति गाय के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय संस्कृति और…
मेटा के ओनरशिप वाली इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप WhatsApp ने अगले साल की शुरुआत से पहले…