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एडिक्शन बनता जा रहा है टेक्नोलॉजी का ओवरयूज, पड़ रहा है मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर असर

नई दिल्ली: आज के डिजिटल युग में टेक्नोलॉजी का उपयोग अनिवार्य हो गया है, चाहे वह शिक्षा हो, काम हो या मनोरंजन। हालांकि, जहां एक ओर तकनीकी प्रगति ने हमारी जिंदगी को आसान बना दिया है, वहीं दूसरी ओर इसका ओवरयूज (अधिक उपयोग) खासकर युवा वर्ग के मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाल रहा है। […]

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एडिक्शन बनता जा रहा है टेक्नोलॉजी का ओवरयूज, पड़ रहा है  मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर असर
  • September 10, 2024 10:34 am Asia/KolkataIST, Updated 3 months ago

नई दिल्ली: आज के डिजिटल युग में टेक्नोलॉजी का उपयोग अनिवार्य हो गया है, चाहे वह शिक्षा हो, काम हो या मनोरंजन। हालांकि, जहां एक ओर तकनीकी प्रगति ने हमारी जिंदगी को आसान बना दिया है, वहीं दूसरी ओर इसका ओवरयूज (अधिक उपयोग) खासकर युवा वर्ग के मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाल रहा है। आधुनिक जीवनशैली में टेक्नोलॉजी का अत्यधिक उपयोग एक तरह की ‘डिजिटल एडिक्शन’ में बदल चुका है, जो मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।

मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाला असर

1. सोशल मीडिया की लत: सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर बिताया गया अधिक समय अवसाद, आत्मविश्वास में कमी, और सामाजिक असुरक्षा की भावना पैदा करता है। लगातार लाइक और कमेंट्स की चिंता और दूसरों की लाइफ से तुलना करने की प्रवृत्ति युवाओं को मानसिक रूप से प्रभावित करती है।

2. नींद में कमी: देर रात तक मोबाइल या लैपटॉप का उपयोग नींद में खलल डालता है, जिससे नींद की गुणवत्ता खराब होती है। नींद की कमी से मानसिक थकान, चिड़चिड़ापन, और ध्यान केंद्रित करने में दिक्कतें हो सकती हैं।

3. मानसिक थकावट: टेक्नोलॉजी के लगातार उपयोग से मस्तिष्क को आराम करने का मौका नहीं मिलता। यह मानसिक थकावट और तनाव का कारण बनता है, जो दीर्घकालिक मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का रूप ले सकता है।

4. अवसाद और चिंता: डिजिटल दुनिया की फर्जी चमक-दमक और दूसरों की ‘संपूर्ण’ जिंदगी देखकर कई युवा खुद को कमतर महसूस करते हैं। इससे आत्मविश्वास में कमी और निराशा जैसी मानसिक समस्याएं जन्म लेती हैं।

समाधान और सावधानियां

1. डिजिटल डिटॉक्स: युवाओं को अपने डिजिटल उपकरणों से कुछ समय का ब्रेक लेना चाहिए। सप्ताह में कम से कम एक दिन ‘डिजिटल डिटॉक्स’ के रूप में निर्धारित करना फायदेमंद हो सकता है।

2. सोशल मीडिया लिमिट: सोशल मीडिया पर बिताए जाने वाले समय की सीमा तय करनी चाहिए। कई ऐप्स में समय प्रबंधन के विकल्प होते हैं, जिनकी मदद से आप अपने स्क्रीन टाइम को नियंत्रित कर सकते हैं।

3. नियमित ब्रेक: काम या पढ़ाई के दौरान लगातार स्क्रीन पर देखने से बचने के लिए हर 20-30 मिनट पर ब्रेक लेना चाहिए। इससे आंखों और मस्तिष्क को आराम मिलेगा।

4. नींद का ध्यान: सोने से पहले कम से कम एक घंटे तक मोबाइल और लैपटॉप से दूर रहें। इससे नींद की गुणवत्ता में सुधार होगा और मानसिक थकान कम होगी।

5. योग और ध्यान: मानसिक तनाव को कम करने और आत्म-संयम को बढ़ावा देने के लिए नियमित रूप से योग और ध्यान का अभ्यास करना चाहिए। यह मानसिक शांति और ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है।

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