नई दिल्ली: शरीर के लिए आंखें सबसे जरूरी अगों में से एक है. अगर आंखो की रोशनी छीन जाएं. तो जीवन की कल्पना करने से डर लगता है. परंतु आपको बता दें कि भारत के लाखों लोगों की आंखों पर संकट मंडरा रहा है. देश में आंखों की गंभीर से गंभीर बीमारियों के बेहतरीन इलाज के लिए अस्पतालों की लंबी चेन होने के बावजूद आने वाले सालों में लाखों लोग अंधे होकर घूमेंगे.
आंखों के सबसे बड़े अस्पतालों एलवी प्रसाद आई इंस्टीट्यूट के फाउंडर डॉ. गुल्लापल्ली नागेश्वर राव ने बताया कि भारत में कॉर्निया ट्रांसप्लांटेशन की गंभीर कमी चल रही है. मरीजों की संख्या और ट्रांसप्लांटेशन की सुविधा में अंतर बढ़ता जा रहा है. आंखो की रोशनी वापस मिलने के इलाज उपलब्ध होने के बावजूद लाखों लोग रोशनी खो रहे है.
आंकड़ों के मुताबिक देश में प्रत्येक साल लगभग एक लाख लोगों को कॉर्निया ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है. ताकि उनकी आंखों की रोशनी वापस मिल सके. मगर देशभर में हेल्थकेयर सिस्टम की कैपेसिटी मात्र 30 हजार कॉर्निया ट्रांसप्लांट करने की ही है. जिसके वजह से 70 हजार लोग बिना कॉर्निया ट्रांसप्लांट के अंधे होकर रहने को मजबूर हैं.
डॉ. राव ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकारों को सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों को इसपर ध्यान देना होगा. 2030 तक कॉर्नियल ट्रांसप्लांट को 30 हजार से बढ़ाकर 60 हजार करना होगा. इसके अलावा 50 आई बैंक भी देश में खोलनी होंगी. इसके साथ ही हमें कम से कम 500 ऑप्थेल्मिक सर्जनों को भी इन सर्जरीज के लिए ट्रेंड करना होगा. तब जाकर हम अपने लक्ष्य को हासिल कर पाएंगे.
ये भी पढ़े:
प्रकाश झा द्वारा निर्देशित वेब सीरीज आश्रम 2020 में बॉबी देओल मुख्य भूमिका में नजर…
भव्य महाकुंभ के मेले दुनियाभर से श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस दौरान त्रिवेणी संगम पर आस्था…
उत्तर प्रदेश के इटावा में एक किशोर को जबरन किन्नर बनाने का मामला सामने आया…
गृह मंत्री शाह ने कांग्रेस अध्यक्ष के इस्तीफा मांगने वाली मांग का भी जवाब दिया।…
परीक्षा पे चर्चा 2025' के लिए रजिस्ट्रेशन कराने के इच्छुक छात्र 14 जनवरी 2025 तक…
जेपीसी इस बिल पर सभी सियासी दलों के प्रतिनिधियों के साथ गहन चर्चा करेगी। बताया…