नई दिल्ली: आज की आधुनिक जीवनशैली में स्मार्टफोन, लैपटॉप और टैबलेट का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। हमारी दिनचर्या का एक बड़ा हिस्सा इन उपकरणों पर निर्भर हो गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन उपकरणों से निकलने वाली ब्लू लाइट आपके स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है? ब्लू लाइट क्या […]
नई दिल्ली: आज की आधुनिक जीवनशैली में स्मार्टफोन, लैपटॉप और टैबलेट का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। हमारी दिनचर्या का एक बड़ा हिस्सा इन उपकरणों पर निर्भर हो गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन उपकरणों से निकलने वाली ब्लू लाइट आपके स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है?
ब्लू लाइट एक प्रकार की उच्च-ऊर्जा दृश्य प्रकाश (HEV) होती है, जो कि 380 से 500 नैनोमीटर के बीच होती है। इसका मुख्य स्रोत सूरज की रोशनी है, लेकिन डिजिटल उपकरण जैसे स्मार्टफोन, लैपटॉप, और LED लाइट्स भी इसका बड़ा स्रोत हैं।
1. नींद पर प्रभाव: ब्लू लाइट का सबसे बड़ा प्रभाव हमारे स्लीप साइकल पर पड़ता है। हमारी बॉडी क्लॉक या सर्कैडियन रिदम इस लाइट की वजह से डिस्टर्ब हो जाती है। मेलाटोनिन, जो कि स्लीप हार्मोन है, उसकी प्रोडक्शन ब्लू लाइट के संपर्क में आने से कम हो जाती है। इससे नींद में कमी, अनिद्रा और अन्य स्लीप डिसऑर्डर हो सकते हैं।
2. आंखों की थकान: लंबे समय तक ब्लू लाइट के संपर्क में रहने से आंखों में थकान, ड्रायनेस और इरिटेशन हो सकता है। इसे डिजिटल आई स्ट्रेन या कंप्यूटर विजन सिंड्रोम भी कहा जाता है। इसमें आंखों में दर्द, धुंधलापन, और सिरदर्द जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
3. मैक्युलर डिजनरेशन: रिसर्च से पता चला है कि ब्लू लाइट के अत्यधिक संपर्क में आने से मैक्युलर डिजनरेशन हो सकता है, जो कि अंधेपन का कारण बन सकता है। इसमें रेटिना की कोशिकाएं डैमेज हो जाती हैं।
4. मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: ब्लू लाइट का प्रभाव सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ता है। इसके कारण चिंता, डिप्रेशन और स्ट्रेस का स्तर बढ़ सकता है।
1. ब्लू लाइट फिल्टर्स: ब्लू लाइट के हानिकारक प्रभाव से बचने के लिए ब्लू लाइट फिल्टर्स का उपयोग करें। यह आपके डिवाइस की सेटिंग्स में उपलब्ध होते हैं या फिर ब्लू लाइट ब्लॉकिंग ग्लासेस का उपयोग कर सकते हैं।
2. स्क्रीन टाइम कम करें: डिजिटल उपकरणों के उपयोग को सीमित करें, विशेषकर रात के समय। सोने से कम से कम एक घंटे पहले इन उपकरणों का उपयोग बंद कर दें।
3. 20-20-20 रूल: हर 20 मिनट के बाद 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर किसी चीज को देखें। यह आपकी आंखों को आराम देने का एक अच्छा तरीका है।
4. रेगुलर ब्रेक्स: लंबे समय तक स्क्रीन पर काम करने से बचने के लिए नियमित अंतराल पर ब्रेक लें।
ब्लू लाइट के हानिकारक प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसके दीर्घकालिक परिणाम गंभीर हो सकते हैं, जो कि हमारे स्वास्थ्य और जीवनशैली को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए, इसके प्रति जागरूक होना और आवश्यक उपाय करना अत्यंत आवश्यक है। इस प्रकार, ब्लू लाइट से जुड़े जोखिमों को समझना और उनसे बचने के उपाय अपनाना हमारे स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। यह एक छोटे से बदलाव से शुरू होकर बड़े लाभ तक पहुंच सकता है, जो कि हमें एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन जीने में मदद करेगा।
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