नई दिल्ली: अक्सर यह सवाल उठता है कि जुड़वां बच्चे कैसे पैदा होते हैं? किन महिलाओं में जुड़वां बच्चे होने की संभावना ज्यादा होती है? जुड़वां बच्चों के पीछे का साइंस क्या है? दरअसल, एक से ज्यादा बच्चे को जन्म देने की घटना को मेडिकल भाषा में मल्टीपल प्रेग्नेंसी कहते है. इसका मतलब महिला के […]
नई दिल्ली: अक्सर यह सवाल उठता है कि जुड़वां बच्चे कैसे पैदा होते हैं? किन महिलाओं में जुड़वां बच्चे होने की संभावना ज्यादा होती है? जुड़वां बच्चों के पीछे का साइंस क्या है? दरअसल, एक से ज्यादा बच्चे को जन्म देने की घटना को मेडिकल भाषा में मल्टीपल प्रेग्नेंसी कहते है. इसका मतलब महिला के गर्भ में दो या ज्यादा बच्चे हैं. यह एक ही एग या अलग-अलग एग्स हो सकते हैं. ऑक्सफोर्ड के नए रिसर्च में कहा गया है कि दुनिया में हर साल 16 लाख जुड़वां बच्चे पैदा होते हैं. क्लीवलैंड क्लिनिक के मुताबिक हर 250 गर्भवती महिलाओं में से एक को जुड़वां बच्चे होने की संभावना होती है. ऐसे में आइए जानते हैं जुड़वा बच्चों के जन्म के पीछे का पूरा साइंस…
जब एक ही एग से जुड़वां या अधिक बच्चे पैदा होते हैं तो उन्हें समान कहा जाता है. उन्हें आइडेंटिकल कहते हैं. ऐसा एक एग एक स्पर्म से फर्टिलाइज होने के कारण होता है. जिसके वजह से फर्टिलाइज्ड एग दो या ज्यादा हिस्सों में बंट जाता है. बता दें इन बच्चों का चेहरा और स्वभाव सब मेल खाता है. अलग-अलग एग से पैदा हुए बच्चों को फ्रैटरनल कहा जाता है. ऐसा दो या अधिक एग अलग-अलग स्पर्म से फर्टिलाइज होने के कारण होता है. सरल भाषा में कहें तो जब गर्भ में दो अलग-अलग एग गर्भ में फर्टिलाइज होता है या जब फर्टिलाइज्ड एग दो भ्रूण में बंट जाता है तो जु़ड़वा बच्चे पैदा होते हैं.
.अगर किसी के परिवार में पहले से ही जुड़वां बच्चे हैं, तो जुड़वां बच्चे होने की चांस ज्यादा होती है.
.अमेरिकन कॉलेज ऑफ ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी की रिर्पोट के अनुसार 30 या उससे अधिक बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) वाली महिलाओं में जुड़वां बच्चे होने की संभावना ज्यादा होती है.
.4. जिन महिलाओं ने IVF करवाया है. उन्हें जुड़वां बच्चे होने की चांस ज्यादा है.
जुड़वा बच्चे होने के लक्षण
1. मॉर्निंग सिकनेस होना
2. सामान्य से अधिक वेट गेन
3. ब्लीडिंग और स्पॉटिंग समस्या
4. ज्यादा भूख लगना.
5. भ्रूण का ज्यादा जगह घूमना
6. बार-बार यूरिन आना