नई दिल्ली: आजकल स्वस्थ जीवनशैली के प्रति जागरूकता बढ़ने के बावजूद, कई बार हम अनजाने में अपने खाने में ऐसी चीज़ें शामिल कर लेते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती हैं। इनमें से एक है खाना पकाने में इस्तेमाल किए जाने वाले तेल। कुछ तेल ऐसे होते हैं जिनमें बार-बार पकाया गया […]
नई दिल्ली: आजकल स्वस्थ जीवनशैली के प्रति जागरूकता बढ़ने के बावजूद, कई बार हम अनजाने में अपने खाने में ऐसी चीज़ें शामिल कर लेते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती हैं। इनमें से एक है खाना पकाने में इस्तेमाल किए जाने वाले तेल। कुछ तेल ऐसे होते हैं जिनमें बार-बार पकाया गया खाना दिल की बीमारियों, खासकर दिल के दौरे (हार्ट अटैक) का कारण बन सकता है।
पाम तेल की कीमत सस्ती होने के कारण इसका उपयोग फास्ट फूड, स्नैक्स और प्रोसेस्ड फूड में बड़े पैमाने पर किया जाता है। पाम तेल में सैचुरेटेड फैट की मात्रा अधिक होती है, जो कोलेस्ट्रॉल स्तर को बढ़ा सकता है। यह उच्च रक्तचाप और हार्ट अटैक जैसी समस्याओं का जोखिम बढ़ा देता है। इस तेल के अत्यधिक उपयोग को हृदय रोगों होता है।
वनस्पति घी या हाइड्रोजेनेटेड तेल में ट्रांस फैट की मात्रा अधिक होती है। ट्रांस फैट आपके शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को कम करता है, जिससे दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ता है। कई अध्ययनों ने ट्रांस फैट्स और हृदय संबंधी समस्याओं के बीच सीधा संबंध बताया है।
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सोयाबीन तेल में ओमेगा-6 फैटी एसिड की मात्रा अधिक होती है। शरीर में ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड का संतुलन बिगड़ने पर सूजन की समस्या हो सकती है, जो दिल की बीमारियों का कारण बन सकती है। अत्यधिक ओमेगा-6 के सेवन से हृदय रोगों का खतरा बढ़ता है।
कॉर्न ऑयल में भी ओमेगा-6 फैटी एसिड की अधिक मात्रा पाई जाती है। यह दिल के लिए फायदेमंद नहीं है, खासकर जब इसका अधिक मात्रा में सेवन किया जाए। लंबे समय तक इस तेल का सेवन हृदय रोगों का जोखिम बढ़ा सकता है।
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