नई दिल्ली: खान-पान और लाइफस्टाइल का सीधा असर पुरूषों के फर्टिलीटी पर पड़ता है. आजकल हम जिस तरह की बिजी लाइफस्टाइल में जीते है इसका सीधा असर पुरूषों के स्पर्म काउंट पर पड़ता है. ह्यूमन रिप्रोडक्शन अपडेट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक भारत ही नहीं पूरी दुनिया के पुरुषों का स्पर्म काउंट 45 सालों में आधे से ज्यादा घट गया है. वहीं इसका सबसे ज्यादा असर भारतीय मर्दों के स्पर्म काउंट पर पड़ रहा है.
बता दें पुरुषों के वीर्य में प्रति मिलीलीटर स्पर्म काउंट 1.5-3.9 करोड़ होता है. वही प्रति मिलीलीटर स्पर्म काउंट 1.5 करोड़ से कम हो जाता है. तब इसका इलाज जरूरी हो जाता है. डॉक्टर मेडिकल टेस्ट के ज़रिए इसका पता लगाते हैं. स्पर्म काउंट सिर्फ़ खान-पान और लाइफ्सटाइल से प्रभावित नहीं होता, बल्कि कुछ बीमारियों का भी असर पुरुषों के स्पर्म काउंट पर पड़ सकता है.
हमारे खान-पान और हवा के जरिए शरीर में एंडोक्राइन डिसरप्टिंग केमिकल जाता है. इसकी मात्रा जब पढ़ जाती है. तब कई हॉर्मोन प्रभावित होने लगते हैं. वहीं इसका स्पर्म काउंट पर भी असर हो सकता है.
प्रदूषण भी काफी हद तक स्पर्म काउंट पर असर डालता है.
अधिक सिगरेट और शराब पीने से भी स्पर्म काउंट कम होता है
मोटापा भी स्पर्म काउंट कम होने का कारण बन सकता है.
सेक्स हार्मोन टेस्टोस्टेरोन के असंतुलन के कारण स्पर्म काउंट कम हो सकता है.
स्पर्म से जुड़ी प्राइवेट पार्ट में इंफेक्शन, जेनेटिक बीमारी, यौन रोग गोनोरिया जैसी कई बीमारियां है, जिसके कारण स्पर्म काउंट घट सकता है. अमेरिका के बाल्टीमोर के जॉन्स हॉपकिंस मेडिसिन के मुताबिक अगर किसी को टीनएज में मम्स हो चुका है तो बड़े होने पर उसका स्पर्म काउंट कम हो सकता है. इसके साथ ही डिप्रेशन, हाई ब्लड प्रेशर,अल्सर, सिरोसिस, लिवर और किडनी की बीमारियों में जो दवा खाई जाती है. उसका भी पुरूषों के स्पर्म काउंट पर असर पड़ता है.
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