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सावधान! देर रात तक जागने वाले लोगों में डायबिटीज का खतरा ज्यादा

नई दिल्ली: देर रात तक जागने वालों में डायबिटीज का खतरा बढ़ने का खुलासा हाल ही में हुई एक स्टडी से हुआ है। इस अध्ययन ने उन लोगों पर ध्यान केंद्रित किया है, जो नियमित रूप से देर रात तक जागते हैं और सुबह देर से उठते हैं। वैज्ञानिकों ने पाया कि ऐसे लोगों में […]

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सावधान! देर रात तक जागने वाले लोगों में डायबिटीज का खतरा ज्यादा
  • September 11, 2024 1:13 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 months ago

नई दिल्ली: देर रात तक जागने वालों में डायबिटीज का खतरा बढ़ने का खुलासा हाल ही में हुई एक स्टडी से हुआ है। इस अध्ययन ने उन लोगों पर ध्यान केंद्रित किया है, जो नियमित रूप से देर रात तक जागते हैं और सुबह देर से उठते हैं। वैज्ञानिकों ने पाया कि ऐसे लोगों में डायबिटीज टाइप-2 होने की संभावना सामान्य रूप से जल्दी सोने और जागने वालों की तुलना में अधिक होती है।

क्या कहती है स्टडी

जिसमें उन्होंने देर रात जागने वालों की जीवनशैली और उनके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन किया। स्टडी में बताया गया है कि “नाइट आउल्स” या रात को देर तक जागने वाले लोग अक्सर अस्वस्थ जीवनशैली का पालन करते हैं, जिसमें अनियमित खानपान, कम शारीरिक गतिविधि और अधिक तनाव शामिल है। इसका सीधा असर उनके ब्लड शुगर के स्तर पर पड़ता है, जिससे उनका शरीर इंसुलिन का प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं कर पाता और इस कारण से उन्हें टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।

नींद और मेटाबॉलिज्म का संबंध

विशेषज्ञों का मानना है कि हमारे शरीर की प्राकृतिक जैविक घड़ी (बायोलॉजिकल क्लॉक) यानी सर्केडियन रिदम का हमारी मेटाबॉलिक प्रक्रियाओं पर गहरा असर होता है। नियमित रूप से देर रात तक जागने से शरीर का सर्केडियन रिदम बिगड़ जाता है, जिससे हमारे शरीर के हार्मोन और मेटाबॉलिज्म असंतुलित हो जाते हैं। यह असंतुलन धीरे-धीरे इंसुलिन प्रतिरोध का कारण बन सकता है, जो डायबिटीज का प्रमुख कारण होता है।

जीवनशैली में बदलाव की जरूरत

स्टडी के नतीजे बताते हैं कि देर रात तक जागने वाले लोगों को अपनी जीवनशैली में सुधार करने की आवश्यकता है। नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, और समय पर सोने की आदत को अपनाकर डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है। साथ ही, यह भी सुझाव दिया गया है कि पर्याप्त नींद लेने से शरीर की इंसुलिन की प्रतिक्रिया बेहतर होती है, जिससे ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रण में रखा जा सकता है।

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