नई दिल्ली: हाल ही में एक अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि अब केवल शहरों में ही नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत में भी एंग्जाइटी (चिंता) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। पहले यह समस्या मुख्य रूप से शहरी क्षेत्रों में देखी जाती थी, लेकिन अब गांवों में भी इसका प्रकोप बढ़ता जा रहा है।
एंग्जाइटी एक मानसिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति लगातार चिंता और तनाव महसूस करता है। यह स्थिति लंबे समय तक बने रहने पर मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। इसके प्रमुख लक्षणों में बेचैनी, नींद न आना, मन का भारी रहना, और छोटी-छोटी बातों पर अधिक सोचना शामिल है।
एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण भारत में एंग्जाइटी के मामले पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़े हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में अब तक इस समस्या को उतनी गंभीरता से नहीं लिया गया था, लेकिन बदलते जीवनशैली और बढ़ते सामाजिक दबाव के कारण वहां भी एंग्जाइटी के मामले बढ़ रहे हैं। 2023 में 30% से अधिक ग्रामीण क्षेत्रों के लोग एंग्जाइटी के शिकार हुए, जबकि इससे पहले यह आंकड़ा काफी कम था। इसका कारण ग्रामीण इलाकों में तेजी से बदलते जीवनस्तर, नौकरी और वित्तीय दबाव, और तकनीक के बढ़ते उपयोग को माना जा रहा है।
– आर्थिक समस्याएं: ग्रामीण इलाकों में रोजगार की कमी और वित्तीय असुरक्षा लोगों में चिंता को बढ़ा रही है।
– शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी: सही जानकारी और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के कारण लोग अपनी समस्या को समझ नहीं पाते और इसे गंभीरता से नहीं लेते।
– कृषि और मौसम: किसानों के लिए बदलते मौसम, सूखा, और फसल का खराब होना मानसिक तनाव का कारण बनती है।
– समाजिक दबाव: पारिवारिक और सामाजिक जिम्मेदारियों का बढ़ता बोझ भी ग्रामीणों में एंग्जाइटी का बड़ा कारण बन रहा है।
Also Read…
एम्स ICU में भर्ती सीताराम येचुरी की हालत नाजुक, माकपा ने स्थिति गंभीर बताया
देवर के साथ फरार हो गई महिला, फिर मिला धोखा तो आ गई अक्ल, घर के बाहर दे रही धरना