Advertisement
  • होम
  • देश-प्रदेश
  • पंजाब ने अमरिंदर को कहा हैप्पी बर्थडे टु यू, आप से कहा नो थैंक यू

पंजाब ने अमरिंदर को कहा हैप्पी बर्थडे टु यू, आप से कहा नो थैंक यू

सिद्धू की भाषा में बोलें तो " चक दे फटे नप दे किल्ली, केजरीवाल जी मैं चलया पंजाब ते तुस्सी रहो दिल्ली। " आम आदमी पार्टी और खासतौर से आप के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल (हो सकता है सुप्रीमो शब्द से केजरीवाल को आपत्ति हो लेकिन आप का हाल देखकर यही सटीक शब्द लगता है) की हसरतों पर पंजाब और गोवा दोनों ने ही पानी फेर दिया है। तो अब "आप" का क्या होगा जनाबेआली?

Advertisement
  • March 11, 2017 7:55 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
पंजाब: सिद्धू की भाषा में बोलें तो ” चक दे फटे नप दे किल्ली, केजरीवाल जी मैं चलया पंजाब ते तुस्सी रहो दिल्ली. ”  आम आदमी पार्टी और खासतौर से आप के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल (हो सकता है सुप्रीमो शब्द से केजरीवाल को आपत्ति हो लेकिन आप का हाल देखकर यही सटीक शब्द लगता है) की हसरतों पर पंजाब और गोवा दोनों ने ही पानी फेर दिया है. तो अब “आप” का क्या होगा जनाबेआली?
 
अपने शपथ ग्रहण में दिल्ली की जनता से केजरीवाल ने वादा किया था कि कभी दिल्ली छोड़कर नहीं जाऊंगा लेकिन खुद वही केजरीवाल ने पंजाब जाकर हुंकार भरी और कहा, ” मैं खूंटा गाड़कर पंजाब में बैठा हूं, दिल्ली तो बस दो – चार दिन जाऊंगा.”  दिल्ली की जनता को भले ही ये धोखा लगा हो लेकिन लगता है पंजाब को भी केजरीवाल का ‘एटीट्यूड’ रास नहीं आया. हां, इतना मानना होगा कि केजरीवाल ने बादलों और कांग्रेस दोनों को ही जमकर टक्कर दी. आप ने तो एनआरआई की पूरी फौज कैंपेनिंग के लिए खड़ी कर दी, रैली हों या सोशल मीडिया, अपना दबदबा कायम रखा. वैसे पंजाब में नंबर 2 पार्टी रहना भी अपने आप में उपलब्धि हो सकती है लेकिन पंजाब में दिल्ली दोहराने का सपना तो चकनाचूर हो ही गया.
 
अगर एग्ज़िट पोल पर ही नज़र दौड़ाई जाए तो 117 सीटों की पंजाब विधानसभा में 40 से कम सीटें आप को किसी पोलस्टर ने नहीं दी थीं. 2014 में लोकसभा चुनावों के दौरान पंजाब में आप ने अपना डेब्यू किया तो उसके खाते में 4 सीटें आई इसे अगर विधानसभा क्षेत्रों के नज़रिये से देखा जो तो 33 विधानसभा सीटों में आप की बढ़त के तौर पर देखा जा सकता है. यानि आप की परफॉरमेंस को लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन के पैमाने पर आंका जाए तो उसकी स्थिति खराब ही हुई है. तो क्या माना जाए? ये कि पंजाब दिल्ली नहीं है? या पंजाब को लगा कि केजरीवाल भी पहले जैसे केजरीवाल नहीं हैं? या अब केजरीवाल का दिल्ली मॉडल और पॉलिटिकल एक्सपेरिमेंट ही फेल हो गया? आप की छुटपुट प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं कि उनके लिए पंजाब एक ‘ लर्निंग एक्सपीरियेंस’ होगा लेकिन क्या सबक सीखने में केजरीवाल जी ये सबक भी लेंगे(अंग्रेज़ी में कहावत है)…. ‘वन इन हैंड इज़ बेटर दैन टू इन ए बुश’ यानि केजरीवाल जिस कश्ती पर सवार हैं, पहले उसे संभालें, दिल मांगे मोर जैसी महत्वाकांक्षाओं पर काबू पाएं और खींचतान के बिना भी काम हो सकता है, ये दिल्ली में कर के दिखाएं.
 
अपने रोमिंग दिल पर केजरीवाल कितना काबू पा सकेंगे, पता नहीं. बहरहाल अमरिंदर सिंह जो पहले ही कह चुके थे कि ये उनका आखिरी चुनाव होगा, उनके लिए आज का दिन बेहद खास है। 11 मार्च उनका जन्मदिन होता है और पटियाला के महाराजा को पूरे पंजाब का सिंहासन आज बर्थडे गिफ्ट में मिल गया है. गौर करने वाली बात ये है कि आखिरी वक्त तक फंसाये रखने के बाद मंच से राहुल गांधी ने कैप्टन को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया था. चलिए ये क्या कम है कि बादलों के खिलाफ एंटी इंकमबैसी एक तरफ, लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह को ये जीत राहुल गांधी के बावजूद मिली है. हालांकि उनके लिए अब नवजोत सिंह सिद्धू और उनके चुटकुलों को कंट्रोल कर पाना बड़ी चुनौती होगा. औपचारिक नतीजे घोषित भी नहीं हुए थे कि सिद्धू ने अमरिंदर सिंह से पहले ही प्रेस कॉन्फ्रेंस करके राजनीति की पिच पर अपने बयानों की ओपनिंग तो कर ही दी है.

Tags

Advertisement