Zero Shadow Day : जब परछाई ने छोड़ा लोगों का साथ, जानें Theory

नई दिल्ली: 25 अप्रैल को ठीक 12 बजकर 17 मिनट पर बैंगलोर में जीरो शैडो डे की स्थिति बन गई यानी सिर के ऊपर सूरज की स्थिति ऐसी बन गई कि लोगों को अपनी परछाई तक नजर नहीं आई। यह स्थिति न केवल बैंगलोर में बल्कि दक्षिण भारत में कई जगहों पर साल में दो […]

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Zero Shadow Day : जब परछाई ने छोड़ा लोगों का साथ, जानें Theory

Amisha Singh

  • April 26, 2023 7:54 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली: 25 अप्रैल को ठीक 12 बजकर 17 मिनट पर बैंगलोर में जीरो शैडो डे की स्थिति बन गई यानी सिर के ऊपर सूरज की स्थिति ऐसी बन गई कि लोगों को अपनी परछाई तक नजर नहीं आई। यह स्थिति न केवल बैंगलोर में बल्कि दक्षिण भारत में कई जगहों पर साल में दो बार होती है। ऐसा पिछले साल भी हुआ था। क्योंकि सूर्य एक ऐसी खास पोजीशन में है और सूरज की रोशनी हम पर इस तरह पड़ती है कि उसकी कोई परछाई नहीं बनती, इसे जीरो शैडो डे कहा जाता है।

 

➨ नहीं दिखी लोगों को अपनी परछाई

ऐसा 130 अक्षांश पर स्थित सभी स्थानों पर 25 अप्रैल को हुआ। कुछ समय के लिए किसी वस्तु की छाया बनना बंद हो गई। यह वास्तव में एक विशेष खगोलीय घटना है। पृथ्वी पर कई ऐसी घटनाएं होती हैं जो कभी-कभी ही घटित होती हैं जैसे सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण आदि। इनमें जीरो शैडो नामक घटना होती है। दुनिया के कई हिस्सों में यह खास स्थिति साल में दो बार होती है।

 

➨ क्या है जीरो शैडो

यह वह दिन होता है जब दिन के किसी खास समय पर सूरज हमारे सिर के ठीक ऊपर उगता है, इसलिए कोई शैडो नहीं बन पाता, इसलिए इस स्थिति को ज़ीरो शैडो कहा जाता है। और जब यह होता है तो पृथ्वी – इस विशेष स्थिति का कारण पृथ्वी के घूमने की धुरी का झुकाव है, जब सूर्य की कक्षा के तल के लंबवत होने के बजाय, पृथ्वी इसके सापेक्ष 23.5 डिग्री झुक जाती है। इस कारण सूर्य की स्थिति में पूरे साल उत्तर से दक्षिण की ओर बदलाव होता रहता है। हर रोज़ दिन के 12 बजे सूरज सीधे सिर के ऊपर नहीं आता है।

 

➨ उस दिन मौसम कैसा रहता है?

इस घटना का मौसम पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता है। हां, यदि स्थानीय मौसम के प्रभाव को नज़रअंदाज़ कर दिया जाए, तो यह दिन आमतौर पर उस क्षेत्र में सबसे गर्म दिन होता है। लेकिन मजे की बात यह भी है कि यह स्थिति 21 जून को कर्क रेखा पर होती है और इस दिन मानसून के बादल भारत के अधिकांश स्थानों पर छा जाते हैं इसलिए मध्य भारत में कई स्थानों पर यह स्थिति नहीं देखी जाती है।

 

 

 

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