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महिला स्‍पोर्ट्स शूज पहनकर गई ऑफिस, मालिक ने दिया टर्मिनेशन लेटर, अब कंपनी देगी ₹30 लाख

नई दिल्ली : अब वर्कप्लेस पर ड्रेस कोड हो गया है। ऑफिस के नियमानुसार आप फॉर्मल कपड़े ही पहन के दफ्तर में आ सकते है। बहुत से दफ्तरों में आप कैजुअल लुक में भी जा सकते है, तो कई ऑफिस में जूता पहना अनिवार्य होता है। मगर क्या आपने कभी ये सुना की किसी कर्मचारी को जूता पहनने की वजह नौकरी से हाथ धोना पड़ा हो, नहीं ना लेकिन एक लड़की जब अपने ऑफिस स्‍पोर्ट्स शूज पहन के गई तो उसके बॉस ने लड़की के हाथ में टर्मिनेशन लेटर ही दे दिया। अब उसी लड़की को कंपनी 30,000 पाउंड (करीब 32,20,818 रुपये) का मुआवजा दिया गया है।आइए जाने क्या है पूरा मामला।

जूता पहनना पड़ा भारी

उस 20 वर्षीय लड़की का नाम एलिज़ाबेथ बेनासी है। 2022 में मैक्सिमस यूके सर्विसेज़ में काम करना शुरू करने वाली एलिज़ाबेथ बेनासी ने कहा कि उसे कंपनी के ड्रेस कोड के बारे में जानकारी नहीं थी। उसने कहा कि उसे उसके स्‍पोर्ट्स शूज की वजह से गलत तरीके से निशाना बनाया गया, जबकि दूसरे कर्मचारी भी ऐसे ही स्‍पोर्ट्स शूज पहनते थे और उनके खिलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की गई। एलिज़ाबेथ बेनासी ने जब काम करना शुरू किया था, तब उसकी उम्र सिर्फ़ 18 साल थी। जब उसे नौकरी से निकाल दिया गया, तो उसने हार नहीं मानी। उसने मामले को कोर्ट तक घसीटा।

कंपनी लड़की के पीछे पड़ी

स्थानी मीडिया के अनुसार उसने अदालत को बताया कि उसका मैनेजर उसके साथ बच्चों जैसा व्यवहार करता था। उसने उसके जूतों पर भी आपत्ति जताई थी। अदालत में लंबी लड़ाई चली। साउथ लंदन के क्रॉयडन में हुई सुनवाई में बेनासी के पक्ष में फैसला सुनाया गया। अदालत ने माना कि कंपनी एलिज़ाबेथ बेनासी में कमियां निकालने पर तूल थी। रिक्रूटमेंट एजेंसी ने बेनासी को सिर्फ़ तीन महीने पहले ही काम पर रखा था और अब उसे नौकरी से निकाल दिया गया। कोर्ट को यह भी बताया गया कि उसके ज़्यादातर साथी कर्मचारी बीस साल के थे और बेनासी कंपनी की सबसे कम उम्र की कर्मचारी थी। उसकी उम्र की वजह से उसे काफ़ी कंट्रोल में रखा जा रहा था।

कोर्ट ने मुआवजे का किया ऐलान

एलिज़ाबेथ बेनासी को नौकरी से निकालने वाली कंपनी का कहना है कि उसने कुछ भी गलत नहीं किया है। मैक्सिमस यूके सर्विसेज कंपनी कार्य और पेंशन विभाग को सेवाएं प्रदान करती है। अदालत ने बेनासी के पक्ष में फ़ैसला सुनाया और कंपनी को उसके उत्पीड़न के लिए 30,000 पाउंड (लगभग 32,20,818 रुपये) का मुआवज़ा देने का आदेश दिया। यह फ़ैसला कार्यस्थल पर उम्र के आधार पर भेदभाव और युवा कर्मचारियों के प्रति व्यवहार को लेकर चिंताएं पैदा करता है।

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Manisha Shukla

पत्रकार हूं, खबरों को सरल भाषा में लिखने की समझ हैं। हर विषय को जानने के लिए उत्सुक हूं।

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