नई दिल्ली : हिंदू धर्म में नवरात्रि के त्योहार का बहुत महत्व माना जाता है। नवरात्रि का त्योहार मां दुर्गा को समर्पित है। शारदीय नवरात्रि आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है। यह त्योहार 9 दिनों तक चलता है। इस त्योहार के 9 दिन मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों को समर्पित होते हैं, जिन्हें नवदुर्गा के नाम से जाना जाता है। मां दुर्गा की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। मां दुर्गा को शक्ति, सामर्थ्य और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है।
मां दुर्गा की अलग-अलग मूर्तियों और तस्वीरों में हम उन्हें कई तरह के हथियारों के साथ देखते हैं। ये हथियार न केवल उनकी शक्ति के प्रतीक हैं बल्कि इनका गहरा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी माना जाता है। मां दुर्गा को शक्ति की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है और उनके हथियार न केवल उनकी शक्ति के प्रतीक हैं बल्कि विभिन्न देवी-देवताओं द्वारा दिए गए उपहार भी हैं।
वैदिक पंचांग के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 3 अक्टूबर को प्रातः 12:19 बजे से प्रारंभ होकर अगले दिन 4 अक्टूबर को प्रातः 2:58 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर 2024, गुरुवार से प्रारंभ होकर 12 अक्टूबर 2024, शनिवार को समाप्त होगी।
यह माँ दुर्गा का सबसे प्रमुख अस्त्र है। इसे भगवान शिव ने माँ दुर्गा को उपहार में दिया था। त्रिशूल को तीन शक्तियों – सृजन, संरक्षण और संहार का प्रतीक माना जाता है।
माँ दुर्गा को भगवान विष्णु ने चक्र उपहार में दिया था। माँ दुर्गा ने इस अस्त्र से कई अत्याचारियों का नाश किया था।
माँ दुर्गा एक तेजस्वी तलवार और खड्ग भी धारण करती हैं। ऐसा माना जाता है कि चंड मुंड नामक राक्षसों का नाश माँ दुर्गा ने अपनी तलवार और खड्ग से किया था। इन दिव्य अस्त्रों के प्रहार से मां दुर्गा ने अनेक दानवों और राक्षसों का वध किया था। माना जाता है कि तलवार और खड्ग भी भगवान शिव ने मां दुर्गा को दिए थे।
धनुष और बाण भी मां दुर्गा के विशेष अस्त्रों में से एक हैं। धनुष और बाण को सटीकता और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। माना जाता है कि मां दुर्गा को धनुष और बाण पवन देव ने दिए थे।
मां दुर्गा अपने हाथों में गदा भी धारण करती हैं। गदा को शक्ति और सामर्थ्य का प्रतीक माना जाता है। मां दुर्गा को गदा भगवान विष्णु ने दी थी।
मां दुर्गा वज्र और घंटा भी धारण करती हैं। मां दुर्गा ने अपने दिव्य घंटे से निकलने वाली ध्वनि और वज्र के प्रहार से अनेक दानवों का नाश किया था। मां दुर्गा को ये अस्त्र देवराज इंद्र ने दिए थे।
मां दुर्गा अपने हाथों में दिव्य शंख भी धारण करती हैं। मां दुर्गा का यह शंख अपनी ध्वनि से तीनों लोकों को कम्पायमान कर देता था। इस शंख की ध्वनि से राक्षस सेना भाग जाती थी। यह दिव्य शंख वरुण देव द्वारा माँ जगदम्बा को उपहार स्वरूप दिया गया था।
यह दिव्य अस्त्र अग्नि देव द्वारा माँ दुर्गा को दिया गया था। जब दुर्गा देवी का महिषासुर से भयंकर युद्ध हुआ था, तब माँ दुर्गा ने अपने इस दिव्य अस्त्र का प्रयोग किया था।
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