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तिब्बत के ऊपर से प्लेन क्यों नहीं उड़ाते पायलट, जानिए इसके पीछे की वजह

आजकल फ्लाइट से सफर करना काफी लोगों की पहली पसंद है, क्योंकि इससे लंबी दूरी का सफर कुछ ही घंटों में पूरा हो जाता है। लेकिन क्या आपने कभी

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तिब्बत के ऊपर से प्लेन Plateaus Of Tibet
  • August 22, 2024 9:08 pm Asia/KolkataIST, Updated 4 months ago

नई दिल्ली: आजकल फ्लाइट से सफर करना काफी लोगों की पहली पसंद है, क्योंकि इससे लंबी दूरी का सफर कुछ ही घंटों में पूरा हो जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि दुनिया में एक ऐसी जगह भी है, जहां से प्लेन उड़ाना पायलट्स के लिए चुनौती बन जाता है? जी हां, हम बात कर रहे हैं तिब्बत के पठार की। आइए जानते हैं कि आखिर क्यों पायलट तिब्बत के ऊपर से फ्लाइट नहीं उड़ाते हैं।

तिब्बत की ख़ासियत

भारत का पड़ोसी और सुंदर प्राकृतिक दृश्यों से भरा तिब्बत, अपने प्राचीन इतिहास और खूबसूरती के लिए मशहूर है। तिब्बत को ‘दुनिया की छत’ कहा जाता है, क्योंकि यह दुनिया का सबसे ऊंचा पठार है। यहां माउंट एवरेस्ट और K2 जैसी दुनिया की सबसे ऊंची चोटियां स्थित हैं। इसी ऊंचाई के कारण तिब्बत के ऊपर से फ्लाइट्स नहीं उड़ाई जाती हैं।

तिब्बत के ऊपर से प्लेन क्यों नहीं उड़ाते

तिब्बत की औसत ऊंचाई 4,500 मीटर (करीब 14,764 फीट) है। इतनी ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी होती है, जिससे इंजन को ज्यादा पावर की जरूरत पड़ती है और इससे ईंधन की खपत भी बढ़ जाती है। अगर किसी कारण से फ्लाइट का एक इंजन फेल हो जाता है, तो दूसरे इंजन पर प्लेन को नीचे की ओर उड़ाना पड़ता है। लेकिन तिब्बत की ऊंची पहाड़ियां इस स्थिति में खतरा पैदा कर सकती हैं।

क्लीन एयर टर्ब्यूलेंस की चुनौती

तिब्बत के ऊपर ‘क्लीन एयर टर्ब्यूलेंस’ का खतरा भी रहता है। टर्ब्यूलेंस तब होता है जब हवा का पैटर्न बदलता है और दबाव में अंतर आ जाता है। आमतौर पर, पायलट टर्ब्यूलेंस को पहले ही पहचान लेते हैं और फ्लाइट को नियंत्रित कर लेते हैं। लेकिन तिब्बत में क्लीन एयर टर्ब्यूलेंस होता है, जो पहले से नजर नहीं आता, और यह पायलट्स के लिए बड़ा खतरा बन जाता है।

इमरजेंसी लैंडिंग का विकल्प नहीं

तिब्बत के क्षेत्र में इमरजेंसी लैंडिंग का विकल्प भी नहीं होता है। इतनी ऊंचाई पर कोई सीधा और समतल स्थान नहीं है जहां इमरजेंसी में फ्लाइट को उतारा जा सके। यही वजह है कि फ्लाइट्स तिब्बत के ऊपर से उड़ान भरने से बचती हैं।

तिब्बत की ऊंचाई, ऑक्सीजन की कमी, इंजन की पावर की जरूरत और क्लीन एयर टर्ब्यूलेंस जैसी कई चुनौतियों के चलते पायलट्स तिब्बत के ऊपर से प्लेन उड़ाने से बचते हैं। इन सभी कारणों से दुनियाभर की फ्लाइट्स इस क्षेत्र को उड़ान के दौरान अवॉइड करती हैं।

 

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