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मायानगरी को दहेज में किसने दिया, क्या है इसके पीछे का इतिहास

मायानगरी को दहेज में किसने दिया, क्या है इसके पीछे का इतिहास

नई दिल्ली: आज के समय में दहेज को एक अपराध माना जाता है. हालांकि इसके बावजूद भी आज के समय में दहेज में घर या कार देने की परंपरा दिखाई देखने को मिलती है. वहीं क्या आप जानते है कि इतिहास में एक ऐसा भी समय था जब भारत का एक पूरा शहर दहेज में दिया गया था। जी हां, यह शहर है देश की आर्थिक राजधानी और सपनों का शहर मुंबई यानि मायानगरी था। आइए जानते है मुंबई से जुड़ा ये दिलचस्प इतिहास।

कैसे बना बॉम्बे

16वीं शताब्दी में जब पुर्तगाली यात्री वास्को डी गामा भारत पहुंचे, उन्होंने मुंबई के द्वीपों को जीता और इसका नाम बॉम्बे रख दिया। इस दौरान पुर्तगालियों ने यहां किले का निर्माण करवाया और व्यापारिक गतिविधियों को विकसित किया। वहीं 17वीं शताब्दी आते-आते बॉम्बे पुर्तगाली साम्राज्य का एक अहम व्यापारिक केंद्र बन गया। इस दौरान 1661 में इंग्लैंड के राजा चार्ल्स द्वितीय की शादी पुर्तगाल की राजकुमारी कैथरीन ऑफ ब्रगंजा से हुई। इस विवाह को पुर्तगाल और इंग्लैंड के बीच राजनयिक संबंधों को मजबूती देने का प्रतीक माना गया।

इंग्लैंड को दिया गया बॉम्बे शहर

बता दें इस शादी में राजकुमारी कैथरीन के दहेज के रूप में पुर्तगाल ने इंग्लैंड को बॉम्बे शहर दे दिया था। इंग्लैंड के लिए यह दहेज केवल एक उपहार नहीं, बल्कि भारत में उनके विस्तार का एक बेहतरीन अवसर था। वहीं बॉम्बे पर अंग्रेजों का नियंत्रण स्थापित होने के बाद इसे एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र के रूप में विकसित किया गया। अंग्रेजों ने यहां बंदरगाह का निर्माण किया और कई औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना की, जिससे बॉम्बे का व्यापारी और औद्योगिक रूप में तेज़ी से विस्तार हुआ। इसके कारण समय के साथ यह शहर भारत का एक व्यावसायिक केंद्र बन गया।

आज एक आर्थिक राजधानी

साल 1995 में बॉम्बे का नाम बदलकर मुंबई कर दिया गया, जो अब भारत की आर्थिक राजधानी और सबसे बड़ा शहर है। फिल्म इंडस्ट्री, वित्तीय सेवाएं, और व्यापार के प्रमुख केंद्र के रूप में आज मुंबई का योगदान भारत की अर्थव्यवस्था में बेहद अहम है। इसके साथ ही इस शहर की समृद्ध विरासत में पुर्तगाली और ब्रिटिश शासन का भी योगदान रहा है, जो आज भी इसके विकास की कहानी में झलकता है।

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