नई दिल्ली: मरने के बाद कहां जाती हैं आत्माएं? यह सवाल सदियों से आकर्षित करता रहा है. विभिन्न धर्मों और सांस्कृतिक मान्यताओं ने इस सवाल का लगभग समान उत्तर दिया है. इन मान्यताओं के आधार पर आत्माओं की भूमिका, उनका गंतव्य और उनकी यात्रा, हर परंपरा में अलग-अलग दिखाई देती है.
हिंदू धर्म के मुताबिक आत्मा अमर होती है और शरीर खत्म होने के बाद भी उसका अस्तित्व मौजूद रहता है. शरीर एक वस्त्र की तरह है जिसे आत्मा त्याग देती है और नया शरीर में प्रवेश करती है. यह प्रक्रिया पुनर्जन्म के रूप में जानी जाती है. आत्मा अपने कर्मों के मुताबिक अगले जन्म का निर्धारण करती है. इस प्रक्रिया को कर्म फल के सिद्धांत पर रखा गया है, जिसमें कहा गया है कि व्यक्ति अपने कर्मों के मुताबिक नरक और स्वर्ग प्राप्त करता है.
मरने के बाद इस्लाम आत्मा को दो प्रमुख अवस्थाओं में बांटा गया है. पहली अवस्था बरज़ख है जो मृत्यु के दिन बीच की अवस्था होती है. इस दौरान आत्मा को उसके कर्मों के फलस्वरूप आराम या कष्ट दी जाती है. दूसरी अवस्था कयामत है, जहां सभी आत्माओं का पुनरुत्थान होता है और उनके अच्छे या बुरे कर्मों के आधार पर उन्हें स्वर्ग या नरक में भेजा जाता है.
मृत्यु के बाद ईसाई धर्म में आत्मा स्वर्ग या नर्क जाती है, ये इस पर निर्भर करती है कि उसने अपनी जिंदगी में कैसे कर्म किए. ईसाई विश्वास में एक न्याय का दिन होगा जब यीशु मसीह फिर से आएंगे और सभी मृतकों का पुनर्जन्म होगा. उस दिन सभी आत्माओं का अंतिम फैसला होगा और उन्हें उनके कर्मों के आधार पर मार्ग मिलेगा.
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