आपने अक्सर सुना होगा कि भलाई का जमाना नहीं रहा, और अब एक नई कहानी इस कहावत को सही साबित कर रही है। न्यूयॉर्क में एक महिला
नई दिल्ली: आपने अक्सर सुना होगा कि भलाई का जमाना नहीं रहा, और अब एक नई कहानी इस कहावत को सही साबित कर रही है। न्यूयॉर्क में एक महिला ने अपने बॉस की जान बचाने के लिए अपनी किडनी दान की, लेकिन बदले में बॉस ने उसे नौकरी से निकाल दिया। यह घटना वास्तव में चौंकाने वाली है।
47 वर्षीय डेबी स्टीवंस, एक तलाकशुदा मां, ने न्यूयॉर्क राज्य मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कराई। उसने आरोप लगाया कि उसके बॉस, 61 वर्षीय जैकी ब्रुशिया, ने उसके अंग का उपयोग किया और फिर उसे नौकरी से निकाल दिया। ब्रुशिया अटलांटिक ऑटोमोटिव ग्रुप के वेस्ट इस्लिप कंट्रोलर में से एक हैं। स्टीवंस को जनवरी 2009 में सहायक के रूप में नौकरी पर रखा गया था।
स्टीवंस ने एक इंटरव्यू में बताया कि सर्जरी के बाद ब्रुशिया ने उसके साथ अत्यंत अमानवीय व्यवहार किया। उसने महसूस किया कि उसे केवल किडनी के लिए काम पर रखा गया था। स्टीवंस ने अपनी किडनी एक अजनबी को दान की थी ताकि ब्रुशिया की जरूरत पूरी हो सके। किडनी दान के बाद, स्टीवंस को अधिक आराम की सलाह दी गई थी, लेकिन ऑफिस से अधिक छुट्टियों के कारण उसे नौकरी से निकाल दिया गया।
स्टीवंस ने जून 2010 में कंपनी छोड़ दी और फ्लोरिडा चली गईं। सितंबर में अपनी बेटी से मिलने के लिए वह न्यूयॉर्क लौटीं और ब्रुशिया से मुलाकात की। इसी दौरान ब्रुशिया ने किडनी ट्रांसप्लांट की बात की। स्टीवंस ने कहा कि वह किडनी दान करने के लिए तैयार थीं, और यही कारण था कि उसने ऐसा किया था।
स्टीवंस ने कहा, “मैंने यह सब इसलिए किया क्योंकि मैं ऐसी ही हूं। मैंने यह सब नौकरी की सुरक्षा या वेतन वृद्धि के लिए नहीं किया। मैंने किया क्योंकि मैं नहीं चाहती थी कि वह मर जाए।” इस घटना ने यह साबित कर दिया कि कभी-कभी भलाई का मूल्य बहुत महंगा हो सकता है।
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