3 घंटे तक जलने के बाद भी नहीं जलता शरीर का ये अंग, वजह जानकर हो जाएंगे हैरान!

नई दिल्ली: हिंदू धर्म में 16 संस्कार होते हैं, जिनमें सबसे आखिरी और महत्वपूर्ण संस्कार दाह संस्कार माना जाता है। दाह संस्कार में मृत शरीर को आग के हवाले किया जाता है और इसे पूरी तरह जलने में करीब 2-3 घंटे का समय लगता है। हालांकि, इस प्रक्रिया के बाद भी शरीर का एक अंग ऐसा है जो पूरी तरह नहीं जलता। इसके अलावा, कुछ हड्डियां भी पूरी तरह नहीं जल पातीं, जिन्हें बाद में गंगा में प्रवाहित कर दिया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शरीर का कौन-सा अंग दाह संस्कार के दौरान भी नहीं जलता? आइए, जानते हैं इसका रहस्य।

आग से शरीर में क्या बदलाव आते हैं?

विशेषज्ञों के मुताबिक, 670 से 810 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर, शरीर का मांस और ऊतक सिर्फ 10 मिनट में पिघलना शुरू कर देते हैं। 20 मिनट बाद माथे की हड्डी से त्वचा अलग होने लगती है और कपाल (खोपड़ी) में दरारें आने लगती हैं। आधे घंटे के भीतर, शरीर की ऊपरी त्वचा पूरी तरह नष्ट हो जाती है। 40 मिनट बाद आंतरिक अंग सिकुड़ जाते हैं और एक स्पंज जैसी संरचना बन जाती है। 50 मिनट के बाद हाथ-पैर काफी हद तक जलकर अलग हो जाते हैं और धड़ बाकी रह जाता है। इस तरह, लगभग 2-3 घंटे में शरीर के सारे हिस्से जल जाते हैं, लेकिन एक अंग ऐसा है जो फिर भी पूरी तरह नहीं जलता।

कौन-सा अंग नहीं जलता?

दाह संस्कार के दौरान, लगभग 2-3 घंटे बाद भी दांत पूरी तरह नहीं जलते। इसका मुख्य कारण है कैल्शियम फॉस्फेट। वैज्ञानिकों के अनुसार, दांतों में पाया जाने वाला यह तत्व आग में नहीं जलता। हालांकि, दांतों में मौजूद ऊतक जल जाते हैं, लेकिन दांत खुद बच जाते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि मानव हड्डियों को जलने के लिए 1292 डिग्री फॉरेनहाइट तापमान की जरूरत होती है, लेकिन इस तापमान पर भी दांत पूरी तरह नष्ट नहीं होते।

 

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