नई दिल्ली : इस समय पृथ्वी पर करीब 1500 ऐसे ज्वालामुखी हैं जो सक्रिय हैं. मतलब ये सभी कभी भी किसी भी समय फट सकते हैं. जो जमीन पर हैं. हालांकि इस लिस्ट में उनको शामिल नहीं किया गया है जो समुंद्र में हैं. समुद्री ज्वालामुखियों को भी अगर इस लिस्ट में शामिल कर लिया जाए तो यह संख्या करीब 10 हजार पहुंच जाएगी. ये भी एक अनुमान है क्योंकि आज तक समुद्र के अंदर ज्वालामुखियों की संख्या ठीक से नहीं गिनी गई है. लेकिन आज हम आपको पूरी दुनिया के सबसे सक्रिय जवालामुखी के बारे में बताने जा रहे हैं.
भारत के पड़ोसी देश इंडोनेशिया (Indonesia) में दुनिया में सबसे ज्यादा सक्रिय यानी एक्टिव ज्वालामुखी है. साथ ही इस देश में सबसे अधिक जवालामुखी भी पाए जाते हैं. बता दें, इंडोनेशिया में कुल मिलाकर 121 ज्वालामुखी हैं. इनमें से तो करीब 74 ज्वालामुखी साल 1800 से एक्टिव हैं और 58 ज्वालामुखी ऐसे हैं जो साल 1950 से सक्रिय रहे हैं. इन सभी में कभी भी विस्फोट होने की संभावना है. बता दें, जहां 12 अगस्त 2022 से लगातार विस्फोट हो रहा है ये हैं- क्राकटाउ, मेरापी, लेवोटोलोक, कारांगेटांग, सेमेरू, इबू और डुकोनो ज्वालामुखी.
इन ज्वालामुखियों के इतने सक्रिय होने की क्या वजह है? दरअसल इसकी एक नहीं बल्कि तीन वजह हैं. पहली इंडोनेशिया देश की भौगोलिक स्थिति. जिस जगह ये स्थित है वहां पर यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेट दक्षिण की ओर खिसक रही हैं और इंडियन-ऑस्ट्रेलियन टेक्टोनिक प्लेट उत्तर की ओर खिसक रही है. इसके अलावा फिलिपीन्स प्लेट पश्चिम की खिच रही है. अगर इन तीनों प्लेटों में टकराव या खिसकाव होता रहा तो ज्वालामुखियों में भी विस्फोट होता रहेगा.
इसी वजह से इंडोनेशिया को फटते हुए ज्वालामुखियों का देश कहा जाता है जो पैसिफिक रिंग ऑफ फायर के ऊपर बसा है. दुनिया में सबसे ज़्यादा भौगोलिक और भूगर्भीय गतिविधियां इसी देश में होती है. इंडोनेशिया में सबसे ज़्यादा भूकंप, सुनामी, लावा के गुंबदों का बनना होते भी देखा जा सकता है. इंडोनेशिया में जो दुनिया का सबसे ज्यादा सक्रिय ज्वालामुखी है वो केलूट (Kelut) और माउंट मेरापी (Mount Merapi) हैं. जो देश के जावा प्रांत में हैं.
बता दें, अगर कोई बड़ा सक्रिय ज्वालामुखी फटता है तो इसका प्रभाव कई सालों तक रहता है. गर्मी सालों साल तक रहती है और विस्फोट से वातावरण ज्वालामुखी से निकली राख से वायुमंडल ढक जाता है. कई लोग मारे जाते हैं और करीब- करीब फसलों का नाश हो जाता है. कई दशकों तक भी भुखमरी रह सकती है. इतना ही नहीं अगर ये जवालामुखी धरती पर ना फटकर समुंद्र में फटेगा तो इसमें भी भारी तबाही होगी. जैसा की धरती पर सुनामी आ जाएगी.
इंडोनेशिया में आज तक का सबसे भयानक ज्वालामुखी विस्फोट साल 1815 में हुआ था. इस ज्वालामुखी का नाम माउंट तंबोरा था जो अचानक फट पड़ा था. इस वजह से यूरोप में कई सालों तक गर्मी का मौसम नहीं आया था. 90 हजार लोग मारे गए थे और करीब 10 हजार सीधे विस्फोट की चपेट में आकर भस्म हो गए थे. बाकी 80 हजार लोगों ने भुखमरी से अपनी जान गवाई थी.
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