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इस महिला राजनेता के साथ 20 पुरुषों ने 22 दिन तक किया गैंगरेप, नंगा करके पूरे गांव में घुमाया, दिल्ली ले जाकर मार दी गोली

गाँव की एक साधारण सी लड़की आगे चलकर खूंखार दस्यू बनी और कई लोगों को महज कुछ सेकंडों में मौत के घाट उतार दिया। आखिर एक साधारण और गरीब लड़की इतनी खतरनाक कैसे बन गई। आइये जानते हैं-

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Phoolan Devi
  • January 7, 2025 11:42 am Asia/KolkataIST, Updated 1 day ago

नई दिल्ली। चंबल की रानी फूलन देवी इस दुनिया में नहीं है लेकिन आज भी दलितों और शोषितों की बात आती है तो उनका नाम लिया जाता है। बैंडिट क्वीन के नाम से प्रसिद्ध खूंखार डकैत फूलनदेवी की कहानी किसी के भी रौंगटें खड़ी कर देने वाली है। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहे अर्जुन सिंह की आत्मकथा ए ग्रेन ऑफ सेंड इन ऑवरग्लास ऑफ़ टाइम में फूलन देवी से जुड़े किस्सों का जिक्र है।

जानिए पूरा किस्सा

गाँव की एक साधारण सी लड़की आगे चलकर खूंखार दस्यू बनी और कई लोगों को महज कुछ सेकंडों में मौत के घाट उतार दिया। आखिर एक साधारण और गरीब लड़की इतनी खतरनाक कैसे बन गई। आइये जानते हैं-
1963 में उत्तर प्रदेश के जालौन के पुरवा गांव में जन्मी फूलन जब 10 साल की थी, उसकी शादी उनसे तीन गुने उम्र के लड़के से करा दी गई। मल्लाह जाति की फूलन को बचपन से ही सवर्णों द्वारा शोषित होना पड़ा। उसका 30 साल का पति पुत्ती लाल उसके साथ अमानवीय व्यव्हार करता था। उससे अजीज होकर वो भागकर मायके चली गई। वहां गाँव के मुखिया के बेटे ने घर में घुसकर बंदूक दिखाकर सामूहिक बलात्कार किया।

ठाकुरों ने किया बलात्कार

फूलन की मां ने उसे अपनी बहन के पास टयोंगा गांव भेज दिया। यहां फूलन अपने मौसरे भाई कैलाश से मिलती है, जो चंबल के दस्यु सरगना बाबूसिंह गुर्जर के साथ रहता था। बाबू सिंह गुर्जर एक दिन फूलन को अपने साथ उठाकर ले गया और उसके साथ यौन शोषण करने लगा। यहीं पर विक्रम नाम के डकैत से फूलन की मुलाकात होती है। दोनों के बीच प्रेम पनपता ही है कि विक्रम की हत्या कर दी जाती है। दस्यु सरगना श्रीराम फूलन को उठाकर ले जाता है। 22 दिनों तक 20 लोगों ने दिन रात फूलन के साथ गैंगरेप किया। बिना कपड़ों के उसे गाँव में घुमाया।

सपा से बनी सांसद

1981 में फूलन देवी इन लोगों ने बदला लेती है और बलात्कार करने वाले 20 लोगों को लाइन में खड़े करके उन्हें गोलियों से भून देती हैं। इसके बाद वह समर्पण कर देती हैं। जेल से छूटने के बाद 1996 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ती हैं। यूपी की मिर्जापुर-भदौही लोकसभा सीट से वो सांसद बनीं। 2001 में शेर सिंह राणा नामक एक व्यक्ति ने दिल्ली स्थित उनके आवास पर उन्हें गोलियों से भून दिया।

 

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