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गाय का खून पीते हैं-छह महीने तक डाइट लेते हैं…,यहां सम्मान की निशानी है मोटापा, राजा बनने के लिए होती ये प्रतियोगिता

नई दिल्ली: दुनिया भर में अलग-अलग तरह के आदिवासी समुदाय रहते हैं। इन समुदाय में रहने वालों की अपनी अनूठी संस्कृति, रीति-रिवाज और परंपराएं होती हैं। सदियों से ये समुदाय अपने जंगलों और भूमि पर रह रहे हैं। कई बार आदिवासी समुदाय की कुछ परंपराएं हमें अजीब लग सकती हैं, परंतु ये उनके लिए बेहद खास होती है और काफी महत्व रखती हैं। बोदी जनजाति जो पूर्वी अफ़्रीका के इथियोपिया रहते हैं, उनमें लोग एक अनोखी प्रतियोगिता आयोजित करते हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से?

खास डाइट लेते हैं

बोदी जनजाति के लोग जो अफ्रीका के इथियोपिया में ओमो घाटी के घने जंगलों में रहते हैं, वह एक अनोखी परंपरा का पालन करते हैं। इस जनजाति में उन पुरुषों को ज्यादा सम्मान दिया जाता है, जिनकी बड़ी तोंद होती है। यहां बड़ी तोंद वालों को सुपरस्टार जैसा दर्जा प्राप्त है। इस जनजाति में मान्यता है कि यहां बड़ी तोंद सेहत और समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है। इस जनजाति के पुरुष इस अनोखे रीति-रिवाज को बनाए रखने के लिए विशेष डाइट लेते हैं जिसमें जानवरों जैसे गाय,बकरी आदि का दूध और खून भी शामिल होता है। पुरुष एकांत में लंबे समय तक रहते हैं और इस आहार का सेवन करते हैं जिससे उनका वजन बढ़ता है और तोंद निकल जाती है।

होती है अनोखी परीक्षा

ये आदिवासी जनजाति जो ओमो घाटी के जंगलों में रहती है, एक अनोखी परंपरा का पालन करते हैं। वह गाय के दूध पीने के साथ-साथ उसका खून भी पी जाते हैं। यहां दूध और खून को मिलाकर एक विशेष मिश्रण तैयार किया जाता है, जिसे यहां के पुरुष नियमित रूप से पीते हैं। हर नए साल के मौके पर इस जगह एक अद्भुत उत्सव मनाया जाता है। इस उत्सव को ‘कोयल’ कहते हैं। इस अवसर का मुख्य आकर्षण कुंवारे पुरुषों के बीच एक प्रतियोगिता होती है। सभी प्रतिभागियों को इस प्रतियोगिता में गाय के दूध और खून के मिश्रण को सबसे ज्यादा मात्रा में पीना होता है।

सख्त अनुशासन का पालन

जो पुरुष इस प्रतियोगिता में भाग लेते हैं वह महीने पहले से ही अपनी तैयारी शुरू कर देते हैं। इस दौरान वह एक सख्त अनुशासन का पालन करते हैं। प्रतियोगिता में भाग लेने वाले पुरुष किसी भी महिला के साथ कोई भी संबंध बना सकते हैं और न ही घर से बाहर निकल सकते हैं। उनकी दिनचर्या का एक जरूरी हिस्सा जानवरों का खून और दूध पीना होता है। एक बर्तन में उन्हें हर रोज सूर्योदय के समय दो लीटर दूध पीना होता है। छह महीने की कड़ी मेहनत के बाद अक्सर प्रतियोगिता में भाग लेने वाले लोग इतने मोटे हो जाते हैं कि उनके लिए चलना तक मुश्किल हो जाता है। इस प्रतियोगिता का आखिरी लक्ष्य है सबसे मोटे व्यक्ति को चुनना। प्रतियोगिता के विजेता चुनाव होने के बाद, यहां पर लोग एक पवित्र पत्थर से पशु की बलि देते हैं और इस तरह प्रतियोगिता का समापन करते हैं। इसके बाद, पुरुष अपने सामान्य जीवन की ओर लौट जाते हैं।

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Shweta Rajput

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