भारत के इस गांव की अनोखी परंपरा, महिलाएं पांच दिन तक क्यों नहीं पहनतीं कपड़े?

भारत एक विविधताओं से भरा देश है, जहां हर राज्य और धर्म की अपनी अलग परंपराएं हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं

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भारत के इस गांव की अनोखी परंपरा, महिलाएं पांच दिन तक क्यों नहीं पहनतीं कपड़े?

Anjali Singh

  • September 26, 2024 11:20 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 months ago

नई दिल्ली: भारत एक विविधताओं से भरा देश है, जहां हर राज्य और धर्म की अपनी अलग परंपराएं हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां की महिलाएं साल में पांच दिनों तक कपड़े नहीं पहनतीं। यह प्रथा जानकर आप हैरान रह जाएंगे।

अनोखा गांव: पिणी

यह गांव हिमाचल प्रदेश की मणिकर्ण घाटी में स्थित है और इसे पिणी कहा जाता है। यहां महिलाएं हर साल पांच दिनों तक बिना कपड़ों के रहती हैं। इस दौरान कोई बाहरी व्यक्ति गांव में प्रवेश नहीं कर सकता। यह प्रथा सदियों से चली आ रही है और यहां की महिलाएं इसे पूरी श्रद्धा के साथ मानती हैं।

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परंपरा के पीछे का कारण

गांव वालों का मानना है कि यह परंपरा राक्षसों से संबंधित है। कहा जाता है कि सदियों पहले इस गांव पर राक्षसों का कब्जा था, जो खूबसूरत कपड़े पहनने वाली शादीशुदा महिलाओं को उठाकर ले जाते थे। गांव की रक्षा के लिए ‘लाहुआ घोंड’ नाम के देवता ने राक्षसों को पराजित किया। इस वजह से महिलाएं आज भी सुंदर कपड़े पहनने से बचती हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि राक्षस फिर से उन पर हमला कर सकते हैं।

Woman Not Wear Clothes For Five Days In This State - Amar Ujala Hindi News  Live - यहां महिलाएं 5 दिन तक नहीं पहनती हैं कपड़े, गांव में सदियों से चली आ

पुरुषों के लिए भी नियम

इस गांव में केवल महिलाओं के लिए ही नहीं, बल्कि पुरुषों के लिए भी कुछ विशेष नियम हैं। इस दौरान पुरुष न तो शराब पी सकते हैं और न ही नॉन-वेज खा सकते हैं। पति-पत्नी के बीच बातचीत करना भी वर्जित है। अगर कोई इस परंपरा का पालन नहीं करता, तो गांव वालों का मानना है कि देवता नाराज हो जाते हैं और बुरा होता है।

क्या है विशेष रिवाज

अगर कोई महिला अपने शरीर को ढकना चाहती है, तो वह केवल ऊन से बना एक पटका पहन सकती है। इस तरह की प्रथा ने इस गांव की पहचान बना दी है और यहां के लोग इसे अपनी संस्कृति का एक अहम हिस्सा मानते हैं। इस अनोखी परंपरा के पीछे की कहानी और रीति-रिवाजों ने पिणी गांव को एक अलग पहचान दी है, जो इसे भारत के अन्य गांवों से अलग बनाती है।

 

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