जयपुर: भारत एक लोकतांत्रिक देश है और यहां हर किसी को अपनी लाइफ अपनी मर्जी से जीने का पूरा अधिकार है, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जहां अन्य गांव से बिलकुल अलग नियम है. हालांकि इन नियमों को मानने के लिए गांववाले बाध्य नहीं करते है. […]
जयपुर: भारत एक लोकतांत्रिक देश है और यहां हर किसी को अपनी लाइफ अपनी मर्जी से जीने का पूरा अधिकार है, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जहां अन्य गांव से बिलकुल अलग नियम है. हालांकि इन नियमों को मानने के लिए गांववाले बाध्य नहीं करते है. सभी आपसी सहमति से इन नियमों पर पालन करते हैं. हम बात कर रहे हैं राजस्थान के ईनाणा गांव की, जहां रहने वाले सभी ग्रामीणों का एक ही सरनेम होता है.
अक्सर इंसान अपना सरनेम अपने पिता से लेता है, लेकिन राजस्थान के नागौर जिले के ईनाणा गांव में रहने वाले लगभग साढ़े चार हजार लोगों का एक ही सरनेम है, चाहे लोग किसी भी कास्ट का क्यों न हो, सबका एक ही सरनेम होता है, यहां रहने वाले हर व्यक्ति के नाम के पीछे गांव का नाम जुड़ा होता है. आधार कार्ड से लेकर एजुकेशनल सर्टिफिकेट तक यही नाम अंकित होता है, लेकिन ऐसा क्यों?
राजस्थान के नागौर जिले से 14 किलोमीटर दूर ईनाणा गांव स्थित है, यहां रहने वाले हर धर्म और जाति के लोग एक ही सरनेम लगाते है. उनके आधार कार्ड पर सरनेम के रूप में ईनाणियां लगा होता है. ग्रामीणों के बीच इतना सामंजस्य है कि वो बिना किसी हिचक के ये सरनेम लगाते हैं. हिंदू और मुस्लिम दोनों के नाम के पीछे ईनाणियां ही लगा होता है.
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इस गांव में ऐसे कई अन्य नियम हैं जो और लोगों को अजीब लग सकते हैं, यहां लड़कों के जीन्स पहनने पर रोक है और यहां के मर्द आपको पायजामे में दिख जाएंगे, लेकिन जींस में नहीं. इसके अलावा गांव की लड़कियों को मोबाइल रखने पर रोक है. ग्रामीणों की एकता ऐसी है कि कोई भी इन नियमों को मानने से इंकार नहीं करता है.
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