नई दिल्ली: राज्यसभा सांसद और इंजीनियर से समाजसेवी बनी सुधा मूर्ति ने एक इंटरव्यू में साड़ी को लेकर खुलासा किया है. उन्होंने कहा कि 30 सालों में एक भी साड़ी नहीं खरीदी है. इसकी वजह है काशी की एक यात्रा. इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति की पत्नी सुधा मूर्ति अपनी अपार संपत्ति के बावजूद अपनी सादगी के लिए अक्सर चर्चा में बनी रहती हैं.
सुधा मूर्ति ने एक इंटरव्यू में बताया कि ऐसा कहा जाता है कि जब आप काशी जाते हैं तो आपको अपनी पसंद की कोई चीज छोड़ देनी चाहिए. मुझे शॉपिंग करना बहुत पसंद था, इसलिए मैंने गंगा से वादा किया था कि मैं जीवन भर शॉपिंग नहीं करूंगी.
73 वर्षीया सुधा मूर्ति ने कहा कि इस वादे के प्रति उनकी प्रतिबद्धता उनके पालन-पोषण में गहराई से निहित है, क्योंकि उनके माता-पिता और दादा-दादी बेहद सीमित संसाधनों में रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब 6 साल पहले मेरी मां का निधन हुआ तो उनकी अलमारी में रखी चीज़ें देने में हमें सिर्फ़ आधा घंटा लगा, क्योंकि उनकी अलमारी में सिर्फ़ 8-10 साड़ियां थीं. जब मेरी दादी का 32 साल पहले निधन हुआ तो उनके पास सिर्फ़ 4 साड़ियां थीं. वे हल्के-फुल्के कपड़े पहनती थीं जो मेरी परवरिश का हिस्सा रहा है, इसलिए मुझे कम सामान के साथ एक सरल जीवन जीना आसान लगा.
दो दशकों से भी ज़्यादा समय से सुधा अपनी बहनों और दोस्तों से गिफ्ट के तौर पर मिली साड़ियां पहनती आ रही हैं. उन्होंने कहा कि उनकी सबसे प्रिय चीज़ों में दो हाथ से कढ़ाई की हुई साड़ियां हैं जो उन महिलाओं के समूह द्वारा उन्हें दी गई थीं, जिनके जीवन को इंफोसिस फ़ाउंडेशन के साथ अपने काम के जरिए उन्होंने बदलने में मदद की थी.
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