Climate Change इस साल जलवायु परिवर्तन के कारण खराब मौसम से अब तक 2,500 लोगों की जान जा चुकी है और 41 बिलियन डॉलर (लगभग 3.43 लाख करोड़ रुपये) का नुकसान हो चुका है। यह जानकारी ब्रिटेन के गैर सरकारी संगठन क्रिश्चियन एड ने दी है। रिपोर्ट के अनुसार, पिछले छह महीनों में खराब मौसम […]
Climate Change इस साल जलवायु परिवर्तन के कारण खराब मौसम से अब तक 2,500 लोगों की जान जा चुकी है और 41 बिलियन डॉलर (लगभग 3.43 लाख करोड़ रुपये) का नुकसान हो चुका है। यह जानकारी ब्रिटेन के गैर सरकारी संगठन क्रिश्चियन एड ने दी है। रिपोर्ट के अनुसार, पिछले छह महीनों में खराब मौसम की ये घटनाएं जलवायु परिवर्तन के कारण हुई हैं। यह रिपोर्ट पिछले साल दिसंबर 2023 में दुबई में अंतरराष्ट्रीय जलवायु वार्ता (कॉप28) के बाद का हिसाब है।
एनजीओ का कहना है कि संयुक्त अरब अमीरात में कॉप28 के बाद भी जीवाश्म ईंधन को कम करने और जलवायु आपदाओं से निपटने में गरीब देशों की मदद करने के लिए कोई खास प्रगति नहीं हुई है। जर्मनी के बॉन में जलवायु वार्ता के दौरान बताया गया कि ये संख्याएं दिखाती हैं कि जलवायु संकट की कीमत पहले से ही चुकानी पड़ रही है।
एनजीओ के एक पदाधिकारी ने कहा कि ग्रीनहाउस गैसों के लिए धनी देश जिम्मेदार हैं जो वातावरण को गर्म कर रहे हैं। उन्हें जिम्मेदारी लेनी चाहिए और अन्य देशों को मौसम की चरम घटनाओं से निपटने और उबरने में मदद के लिए क्षति कोष में अपनी फंडिंग बढ़ानी चाहिए। कॉप28 में यह सहमति बनी थी कि जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए एक कोष बनाया जाएगा।
पर्यावरणविद् डॉक्टर सीमा जावेद के अनुसार, भारत में गर्मी के कारण बड़े पैमाने पर मौतें हो रही हैं। इससे होने वाली आर्थिक हानि का कोई आकलन नहीं किया गया, लेकिन लोगों की वर्किंग कैपेसिटी प्रभावित हुई है। खाड़ी क्षेत्रों में भी जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़ का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम एशिया में बाढ़ से कम से कम 214 लोगों की मौत हो गई और सिर्फ संयुक्त अरब अमीरात में 850 मिलियन डॉलर का बीमाकृत नुकसान हुआ। रिपोर्ट में कहा गया है कि पश्चिम, दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में चल रही लू से अकेले म्यांमार में 1,500 से अधिक लोगों की मौत हो गई, जबकि गर्मी से होने वाली मौतें बहुत कम रिपोर्ट की गईं।
संस्थान की वैश्विक एडवोकेसी की प्रमुख मारियाना पाओली कहती हैं कि अगर अभी न चेते तो कभी नहीं होगा। पूरी दुनिया इस ओर सतर्कता से काम नहीं कर रही है, जिसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। इसके लिए गंभीर कदम उठाने की मांग तेज हो रही है, खासतौर पर उन देशों के लिए जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और संकट से अधिक प्रभावित हो रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, 41 बिलियन डॉलर का नुकसान कम आंका गया है, क्योंकि यह आकलन बीमा के आधार पर किया गया है। इन आंकड़ों में आपदाओं की वजह से मानव जीवन को होने वाले नुकसान की लागत को पूरी तरह शामिल नहीं किया गया है। ब्राजील में बाढ़ से कम से कम 169 लोगों की मौत हुई और कम से कम सात अरब डॉलर की आर्थिक क्षति हुई।
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