नई दिल्ली: दिल्ली से सिडनी जाने वाले यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। विमान में लगातार हो रहे झटकों की वजह से कई मुसाफिर जख्मी भी हुए हैं। इस मामले में गनीमत यह रही कि एयर टर्बुलेंस हल्की थी, नहीं तो भयानक हादसा हो सकता था। इसके खतरे का अंदाजा इस बात से […]
नई दिल्ली: दिल्ली से सिडनी जाने वाले यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। विमान में लगातार हो रहे झटकों की वजह से कई मुसाफिर जख्मी भी हुए हैं। इस मामले में गनीमत यह रही कि एयर टर्बुलेंस हल्की थी, नहीं तो भयानक हादसा हो सकता था। इसके खतरे का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हर साल करीब 5,500 फ्लाइट टबुर्लेंस की चपेट में आ जाती हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह फ्लाइट टबुर्लेंस आखिर क्या है और यह विमान या उसके अंदर बैठे लोगों पर कैसे असर डालती है?
एयर टर्बुलेंस आपने अक्सर सुना होगा, शायद आपका मतलब आसमान में बिजली की चमक से लगाते होंगे, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है। एयर टर्बुलेंस वह कंडीशन है जहां हवा की रफ्तार और हवा के दबाव के बीच इतना फ़र्क़ होता है कि यह विमान पर दबाव डालने अलगता है। इस वजह से प्लेन झटके मारने लगता है। विमान में इतना कंपन होता है कि चीख-पुकार जैसे हालात मच जाते है। इसे एयरक्राफ्ट भी कहा जाता हैं। कई बार इसके नतीजे बहुत ही खतरनाक साबित हो सकते हैं।
एयर टर्बुलेंस किस हद खतरनाक होता है इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि बड़े एयर टर्बुलेंस की वजह से फ्लाइट की स्पीड पर भी खासा असर पड़ता है। विमान पर इतना दबाव होता है कि वह एक झटके में बहुत ऊपर जा सकता है या बहुत नीचे जा सकता है। ऐसे में फ्लाइट को काबू करना काफी मुश्किल हो जाता है। यह एक ऐसी कंडीशन होती है जिसे कोई भी पायलट देखना नहीं चाहता।
वैसे तो टर्बुलेंस कई तरह से बन सकता है, जिसमें तेज हवा से बनने वाला टर्बुलेंस काफी ज़्यादा खतरनाक माना जाता है, असल में कई बार हवा चट्टानों से टकराकर साइक्लोन का रूप ले लेती है, जो किसी भी फ्लाइट के लिए बहुत खतरनाक साबित होती है। कई बार अगर कोई प्लेन किसी प्लेन के करीब से गुजरता है तो दूसरे प्लेन से आने वाली हवा भी इसका कारण बन सकती है। समें घायल होने वालों की तादाद बहुत ज़्यादा होती है।