Peaceful World War: दुनिया का सबसे शांत‍िपूर्ण चलने वाला युद्ध, जिसमें नहीं गई एक भी शख्‍स की जान

नई दिल्ली। युद्ध शब्द सुनते ही मन में चारों ओर लाशों के ढेर और गोलीबारी करते सैनिकों का ख्‍याल आता है। लेकिन अगर आपसे कहा जाए क‍ि दुनिया में एक ऐसा भी युद्ध हो चुका है जो कि बेहद शांतिपूर्ण (Peaceful World War) चला और इस युद्ध में एक भी व्यक्ति की जान नहीं गई, […]

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Peaceful World War: दुनिया का सबसे शांत‍िपूर्ण चलने वाला युद्ध, जिसमें नहीं गई एक भी शख्‍स की जान

Sachin Kumar

  • January 11, 2024 6:19 pm Asia/KolkataIST, Updated 10 months ago

नई दिल्ली। युद्ध शब्द सुनते ही मन में चारों ओर लाशों के ढेर और गोलीबारी करते सैनिकों का ख्‍याल आता है। लेकिन अगर आपसे कहा जाए क‍ि दुनिया में एक ऐसा भी युद्ध हो चुका है जो कि बेहद शांतिपूर्ण (Peaceful World War) चला और इस युद्ध में एक भी व्यक्ति की जान नहीं गई, तो क्या आप विश्वास करेंगे? शायद इस बात पर किसी को भी भरोसा न हो लेकिन ये बात बिल्कुल सच है। ये युद्ध करीब 30 सालों तक चला और इसमें एक भी नागर‍िक की जान नहीं गई। न ही इस युद्ध में कोई गोली चलाई गई। यही नहीं ये जंग कोई आम जंग नहीं बल्कि दो मुल्कों के बीच हुई थी। आइए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।

बंजर द्वीप के लिए 30 साल चला युद्ध

दरअसल, यहां हम बात कर रहे डेनमार्क और कनाडा के बीच 1970 से चले आ रहे युद्ध के बारे में। जिसमें पिछले साल एक समझौता किया गया। बता दें कि दोनों देशों के बीच ये युद्ध एक बंजर द्वीप के ल‍िए चल रहा था, जिसका नाम हंस आइलैंड है। जानकारी के अनुसार, आर्कटिक चैनल में एक वर्ग किलोमीटर से थोड़े बड़े आकार का यह द्वीप निर्जन है। जहां, मौसम स्‍टेशन के अलावा कुछ भी नहीं है। न हीं यहां कोई रहता है और न ही यहां कोई प्राकृत‍िक संसाधन हैं। लेकिन पिछले 30 सालों से कनाडा और डेनमार्क इस पर अपना कब्‍जा होने के दावे कर रहे थे। जिसके लिए ये दोनों देश बारी-बारी से अपनी सेना को छोटे से इस द्वीप पर भेजते थे। जो वहां जाकर बार-बार अपना झंडा फहराते थे और दूसरे देश के झंडे को हटा देते थे।

1984 में बढ़ा तनाव

डेनमार्क और कनाडा, दोनों देशों के बीच ये तनाव कई बार ज्‍यादा बढ़ जाता था। बताया जाता है कि 1933 में लीग ऑफ नेशंस ने डेनमार्क के पक्ष में फैसला किया था। लेकिन लीग ऑफ नेशंस के खत्म होने के बाद कनाडा ने उस फैसले को अस्वीकार कर दिया था। जिसके बाद 1984 में ये मुद्दा उस समय गरमा गया, जब कनाडाई सेना द्वारा हंस आइलैंड पर एक झंडा लगाया गया, जिस पर और ‘वेल्कम टू कनाडा’ लिखकर व्हिस्की की एक बोतल छोड़ी गई थी। जिसके एक हफ्ते बाद डेनमार्क के मंत्री उस झंडे को हटाने के ल‍िए हंस आइलैंड पहुंच गए। उन्होंने भी वहां पर शराब की एक बोतल और एक नोट छोड़ा, जिस पर ल‍िखा था कि ‘डेनमार्क में आपका स्वागत है’।

पिछले साल हुआ समझौता

ये सिलसिला यहीं खत्म नहीं हुआ, डेनमार्क के बाद कनाडाई सैनिक फिर से वहां पहुंचे और अपने देश का झंडा लगाकर ‘वेल्कम टू कनाडा’ लिख दिया। साथ ही वहां पर व्हिस्की की एक बोतल छोड़ दी। जिसके बाद से बार-बार दोनों देशों की सेनाएं यही काम कर रही थीं। यही कारण है कि इस युद्ध को ‘व्हिस्की युद्ध’ भी कहा गया। शायद सुनने में ये बात मजाक लग रही हो लेकिन इसके पीछे गंभीर तनाव था। हालांकि, पिछले साल ये युद्ध (Peaceful World War) समाप्त हो गया। बता दें कि पिछले साल कनाडा और डेनमार्क के बीच एक समझौता किया गया है जिसमें दोनों देशों ने द्वीप को आधे-आधे हिस्से में बांट लिया। अब डेनमार्क के किनारे वाला भाग डेनमार्क को मिला और कनाडा की तरफ जो ह‍िस्‍सा था, वो कनाडा को मिल गया।

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