नई दिल्ली: अमेरिका के अमेजन बेसिन में एक अनोखी और खौलती हुई नदी की खोज की गई है, जो वैज्ञानिकों और पर्यटकों के बीच कौतूहल का विषय बनी हुई है। इस नदी का नाम “शोरीको” है, और यह पेरू के अमेजन जंगलों में स्थित है। यह नदी जलवायु और भौगोलिक परिवर्तन के अध्ययन के लिए […]
नई दिल्ली: अमेरिका के अमेजन बेसिन में एक अनोखी और खौलती हुई नदी की खोज की गई है, जो वैज्ञानिकों और पर्यटकों के बीच कौतूहल का विषय बनी हुई है। इस नदी का नाम “शोरीको” है, और यह पेरू के अमेजन जंगलों में स्थित है। यह नदी जलवायु और भौगोलिक परिवर्तन के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। अमेजन बेसिन में पाई गई यह नदी एक अद्वितीय प्राकृतिक आश्चर्य है, जो पृथ्वी के प्राकृतिक परिदृश्य के बारे में हमारे ज्ञान को बढ़ाती है। इसके अध्ययन से न केवल ज्वालामुखीय क्रियाओं के बारे में नई जानकारियाँ मिल सकती हैं, बल्कि यह पारिस्थितिक तंत्र की समझ को भी गहरा कर सकती है।
जानकारी के मुताबिक इसकी खोज ‘आंद्रेज रूजो’ नामक एक शख्स द्वारा की गई थी। इस नदी की खोज से वैज्ञानिक समुदाय चकित है। नदी का पानी इतनी ऊँचाई पर खौलता है कि इसकी तापमान 80 डिग्री सेल्सियस (176 डिग्री फारेनहाइट) तक पहुंच जाती है। यह तापमान आमतौर पर केवल ज्वालामुखीय क्षेत्रों में पाया जाता है, लेकिन यह नदी की स्थिति और इसके खौलते पानी ने इसे एक अनूठा प्राकृतिक अजूबा बना दिया है। हैरान कर देने वाली बात यह है कि कड़ाके की ठंड में भी नदी का पानी गर्म रहता है। इतना ही नहीं लोगों का कहना है कि इस नदी में इतना गर्म पानी बहता है कि चाय बना लो।
वैज्ञानिकों का मानना है कि इस नदी का पानी ज्वालामुखीय क्रियाओं के कारण गर्म हो गया है। नदी के आसपास के क्षेत्र में गीजर और भाप के रिसाव की गतिविधियाँ पाई गई हैं, जो इसके तापमान को प्रभावित कर सकती हैं। इसके अलावा नदी का पानी मिट्टी और खनिजों से भरपूर है, जो इसके खौलते गुण को और बढ़ाता है। इस अनोखी नदी को ‘Boiling River’ के नाम से भी जाना जाता है। लोगों का ऐसा मानना है कि पानी के गर्म होने की वजह ज्वालामुखी भी हो सकता है।
इस अनोखी नदी का स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र पर भी प्रभाव पड़ सकता है। नदी के खौलते पानी के कारण यहाँ के पौधे और जानवर इस अद्वितीय परिस्थितियों में विकसित हो रहे हैं। इस क्षेत्र में जीवन के अनूठे तरीके और विकास के लिए वैज्ञानिक इसे एक महत्वपूर्ण अध्ययन क्षेत्र मानते हैं। इस नदी के अध्ययन और संरक्षण के लिए स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की टीम गठित की गई है। इनका उद्देश्य नदी की जैव विविधता को संरक्षित करना और इसके अनोखे पारिस्थितिक तंत्र का गहन अध्ययन करना है।
Also Read…
सावन के महीने में शिव भक्त ने किया रक्त से अभिषेक, पंडित हुए हैरान