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अभी जान लें क्या होती है जॉब हॉपिंग कैटेगरी, वरना कभी नहीं मिलेंगी नौकरी

नई दिल्ली: अगर आप प्राइवेट सेक्टर में काम करते है तो इस बात से आप बिलकुल वाकिफ कि यहां प्रतिस्पर्धा कितनी कठिन है, खासकर जब आपकी सैलरी अधिक हो जाती है। ऐसे में यदि आप नौकरी बदलने का विचार करते हैं, तो अक्सर बड़ी कंपनियों में आवेदन के बाद भी एचआर से कॉल नहीं आता। […]

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Job Hopping, Trends Millennials and Gen Z
  • November 9, 2024 10:22 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 month ago

नई दिल्ली: अगर आप प्राइवेट सेक्टर में काम करते है तो इस बात से आप बिलकुल वाकिफ कि यहां प्रतिस्पर्धा कितनी कठिन है, खासकर जब आपकी सैलरी अधिक हो जाती है। ऐसे में यदि आप नौकरी बदलने का विचार करते हैं, तो अक्सर बड़ी कंपनियों में आवेदन के बाद भी एचआर से कॉल नहीं आता। इसका कारण आपकी जॉब हॉपिंग की आदत हो सकती है. लेकिन जॉब हॉपिंग कैटेगरी क्या होती है और आप इस कैटेगरी में आते है या नहीं आइए जानते है.

क्या है जॉब हॉपिंग?

जॉब हॉपिंग का मतलब है कि कोई कर्मचारी अपने करियर में लगातार कम समय के अंतराल में नौकरी बदलता रहता है। जो लोग जल्दी-जल्दी नौकरी बदलते हैं, उन्हें जॉब हॉपिंग की कैटेगरी में रखा जाता है। जानकारी के अनुसार, अगर कोई कर्मचारी हर 6 महीने, एक साल या दो साल के अंतराल पर नौकरी बदलता है, तो कई कंपनियां उन्हें ‘जॉब हॉपिंग’ वाले कर्मचारियों के रूप में देखती हैं और ऐसे लोगों को हायर करने से बचती हैं।

जॉब हॉपिंग से क्यों नहीं मिलती नौकरी

हाल ही में रेजिंग केंस कंपनी के सीईओ टॉड ग्रेव्स ने कहा कि वह जॉब हॉपिंग करने वाले कर्मचारियों को ‘रेड फ्लैग’ के रूप में देखते हैं। उनके अनुसार, ऐसे कर्मचारी अपनी व्यक्तिगत प्रगति को प्राथमिकता देते हैं और टीमवर्क में रुचि नहीं दिखाते है. इससे न केवल कंपनी का काम प्रभावित होता है बल्कि बाकी कर्मचारियों पर भी इसका प्रभाव पड़ता हैं। कुछ समय पहले लिंक्डइन पर एक सर्वे में भी यह बात सामने आई थी, जहां कई मैनेजरों ने कहा कि वे उन उम्मीदवारों की सीवी आगे नहीं बढ़ाते जो 9 महीने या उससे कम समय में नौकरी बदलते हैं।

कौन करते हैं जॉब हॉपिंग

जॉब हॉपिंग की ट्रेंड मिलेनियल्स और जेन जेड के बीच अधिक देखी जाती है। ये युवा पीढ़ी करियर में तेज प्रगति और नए अवसरों की तलाश में रहती है, जिसके चलते वे नौकरियां तेजी से बदलते हैं। पहले जहां जॉब हॉपिंग को अस्थिरता का संकेत माना जाता था, वहीं अब लोग इसे करियर ग्रोथ के एक साधन के रूप में देखते हैं। नई पीढ़ी की सोच है कि नौकरी बदलने से उन्हें न केवल बेहतर वेतन बल्कि नई सीखने के अवसर भी मिलते हैं। हालांकि हायरिंग करने वालों का मानना है कि कंपनी में लंबे समय तक काम करने वाले कर्मचारियों से संगठन को अधिक लाभ होता है. इसीलिए वे जॉब हॉपिंग वाले उम्मीदवारों को हायर करने से बचते हैं।

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