नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के दमोह जिले के तेंदूखेड़ा तहसील से करीब 5 किमी दूर धारी गांव में यह कुंड स्थित है. इस गांव में सद्गुरु देव दादा जी सरकार ने तपस्या की थी. पत्थर के बीच बने इस कुंड में कहां से पानी आता है यह बात आज तक कोई नहीं जान सका है. […]
नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के दमोह जिले के तेंदूखेड़ा तहसील से करीब 5 किमी दूर धारी गांव में यह कुंड स्थित है. इस गांव में सद्गुरु देव दादा जी सरकार ने तपस्या की थी. पत्थर के बीच बने इस कुंड में कहां से पानी आता है यह बात आज तक कोई नहीं जान सका है. अचंभित कर देने वाली बात यह है कि पत्थरों में किसी तरह के कोई बिल दिखाई नहीं देता है. इस कुंड से पानी हमेशा प्रवाहित होने के बावजूद भी पानी कभी खत्म नहीं होती है।
कुंड से निकलने वाला पानी निकट में बनी एक बड़ी गढ़ा में जमा हो जाता है और वन्य से आने वाली सभी जीवों की भी प्यास बुझ जाती है. लोग इस कुंड को ईश्वर का दिया हुआ वरदान मानते हैं. कुछ लोगों का कहना है कि सद्गुरु देव दादा जी सरकार की तपस्या की वजह से यहां पानी निकल रहा है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार गर्मियों के मौसम में कुंड का जलस्तर बढ़ जाता है. लोगों का कहना है कि गर्मी बढ़ने पर कुंड में पानी का स्तर काफी बढ़ जाता है और यह कुंड घने जंगल में स्थित है. गांव के बुजुर्गों के मुताबिक इस घने जंगल के अंदर बनी गुफाओं में पहले शेर भी रहा करते थे. इस जंगल में जब दादाजी सरकार रात के समय में तपस्या करते थे तो उनके चारों ओर जंगली जानवर चक्कर लगाते थे।
स्थानीय निवासी रघुनाथ यादव ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि किशनगढ़ धाम के सिद्ध क्षेत्र में पत्थरों के बीच बने कुंड से पानी निकलता है जो कभी खत्म नहीं होता है. वहीं स्थानीय शिक्षक राम प्रसाद गोटिया ने बताया कि यह क्षेत्र सिद्धों की तपोभूमि के नाम से प्रसिद्ध है. दादाजी सरकार के वक्त सिंह रहा करते थे. उनका यह भी कहना है कि गर्मी बढ़ने पर कुंड में पानी का जल स्तर बढ़ जाता है जिसके कारण यहां जलधाराएं बहती हैं. इसी तरह दुनिया के अन्य हिस्सों में भी कई अदभुत चीजें हैं।
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