नई दिल्ली : अंतरिक्ष असीम गहराई से भरा हुआ है. ये कितना बड़ा है इस बात का अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता है. इस बड़े विशालकाय अंतरिक्ष में अनंत जीवन मौजूद हैं हालांकि अभी वह हमारी पहुंच से कहीं दूर हैं लेकिन वैज्ञानिक उसकी तलाश में जुटे रहते हैं. हाल ही में अमेरिका के […]
नई दिल्ली : अंतरिक्ष असीम गहराई से भरा हुआ है. ये कितना बड़ा है इस बात का अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता है. इस बड़े विशालकाय अंतरिक्ष में अनंत जीवन मौजूद हैं हालांकि अभी वह हमारी पहुंच से कहीं दूर हैं लेकिन वैज्ञानिक उसकी तलाश में जुटे रहते हैं. हाल ही में अमेरिका के स्पेस इंस्टिट्यूट NASA को अंतरिक्ष में पृथ्वी से बड़ा ग्रह मिला है जहां पानी की भी भरमार है. आइए बताते हैं इस ग्रह के बारे में.
📣Discovery Alert!📣
100 light-years away, a planet bigger than Earth orbits two stars. Its mass, or weight, might be consistent with a rocky planet with a deep ocean. It will take more study, but scientists are intrigued and say it's worth a closer look! https://t.co/1blfLg9S5T pic.twitter.com/qtb1xj160R— NASA Exoplanets (@NASAExoplanets) August 24, 2022
पृथ्वी की स्थिति को देखते हुए देश और दुनिया भर के वैज्ञानिक एक नए ग्रह की तलाश में हैं जहां इंसानी जीवन बसाया जा सके. हाल ही में NASA रिसर्चर्स की एक टीम ने पृथ्वी से लगभग 100 प्रकाश वर्ष दूर उसी की तरह दिखने वाले ग्रह की खोज कर ली है. जानकारी के अनुसार यह ग्रह पूरी तरह से पानी से ढका हो सकता है. NASA की एक रिपोर्ट बताती है कि इस ग्रह का नाम TOI-1452 b है. अनुमान के अनुसार यह पृथ्वी से करीब 70 फीसदी बड़ा है और ‘गोल्डीलॉक्स जोन’ में स्थित है. बता दें, ‘गोल्डीलॉक्स जोन’ में तापमान न तो बहुत गर्म और न ही बहुत ठंडा होता है. यही कारण है कि NASA ने वहां लिक्विड वाटर मौजूद होने की आशंका जताई है.
इस बता की जानकारी NASA ने अपने ट्विटर हैंडल से दी है. NASA द्वारा प्रेस रिलीज़ दी गई है जिसके अनुसार, ‘इस ग्रह की आगे की जांच दिलचस्प संभावना पर प्रकाश डाल सकती है यानी यह ग्रह एक ‘वॉटर वर्ल्ड’ मौजूद हो सकता है. हालांकि, यह ग्रह पृथ्वी से बहुत ही ज़्यादा दूर है.’ बता दें, इस नए ग्रह के हमारी पृथ्वी से लगभग पांच गुना भारी है होने की संभावना है. इतना ही नहीं इसका घनत्व ग्रह पर ‘बहुत गहरे महासागर’ होने के संकेत देता है. इस ग्रह पर रिसर्च जारी है जहां इसे इंसानों के लिए एक आशा की किरण भी बताया गया है.
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