नई दिल्ली : नाग पंचमी उन अनोखे हिन्दू त्योहारों में से एक है जो इंसानों, प्रकृति और जीव जंतुओं के बीच का प्रेम दिखाता है. सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को हर साल नाग पंचमी मनाई जाती है. यह तिथि इस साल कल यानी 2 अगस्त के दिन पड़ रही है. इस दिन लोग पूरी श्रद्धा से भगवान् शिव के साथ-साथ नाग देवता की भी पूजा करते हैं.
इस ख़ास मौके पर आज हम आपको एक ऐसे ख़ास मेले के बारे में बताने जा रहे हैं जो साँपों के लिए विशेष नाग पंचमी के दिन निकाला जाता है. मान्यता है कि 1981 में यहां भगवती स्थान की स्थापना की गई थी जिसके बाद गांव के लोगों के बीच अमन और शांति पैदा हुई. ऐसे में हर साल भगत के द्वारा सांप पकड़ने की परंपरा की शुरुआत भी हुई जिसे अब पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाया जा रहा है.
जीव जंतुओं को प्रेम करने के साथ-साथ उन्हें ना छेड़ने की भी सलाह दी जाती है. ऐसे ही कुछ जीव जंतुओं में साँपों का नाम भी शामिल है. हम और आप यह बात साफ़ जानते हैं कि दुनिया में कई लोग सांपों के काटने से और उनके जहर से अपनी जान गवाते हैं. बावजूद इसके हिन्दू धर्म में साँपों की बहुत मान्यता है. इन्हीं मान्यताओं के मनती भारत के बिहार राज्य में एक ऐसी भी जगह है जहां जेहरीले से जहरीला नाग इंसानों का दोस्त है. दरअसल बिहार के बेगूसराय में आज भी हर साल सांपों का मेला लगाया जाता है.
बेगूसराय मंसूरचक प्रखंड के आगापुर गांव में एक ऐसी परंपरा है जो जितनी अद्भुत है उतनी ही खतरनाक भी. हर साल नागपंचमी के दिन इस गाँव के ताल तलैया नदी पोखर से जहरीले और विषैले सैकड़ों की संख्या में सांप पकड़ने की परंपरा को देखने दूर दराज के क्षेत्रों से लोग आते हैं. यह खतरनाक परंपरा काफी साहसिक लोगों द्वारा निभाई जाती है. इतना ही नहीं नाग पंचमी के अवसर पर इस परंपरा को लेकर स्थानीय लोगों का एक बड़ा मेला भी लगता है. इस मेले में कई गांवों के लोग शामिल होते हैं. जहां लोग मेले में मौजूद साँपों से बिल्कुल भी नहीं घबराते हैं और उनके साथ-साथ खिलौने की तरह खेलते हैं.
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