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साल में सिर्फ 24 घंटे खुलता है नागचंद्रेश्वर मंदिर, जानिए ख़ास बात

नई दिल्ली : महाकाल की नगरी उज्जैन को मंदिरों का शहर माना जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस शहर की हर गली में कोई न कोई एक मंदिर जरूर स्थित है. उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर के तीसरे भाग में नागचंद्रेश्वर मंदिर स्थित है जिसका अपना अलग महत्व है. इस मंदिर की सबसे खास बात है कि इसका कपाट साल में सिर्फ एक बार नाग पंचमी के दिन ही खुलता है वो भी केवल 24 घंटे के लिए ही आप इसके दर्शन कर सकते हैं. तो इस मंदिर की ऐसी क्या ख़ास बात है? आइये आज आपको बताते हैं.

क्या है ख़ास

बता दें, भगवान नागचंद्रेश्वर की मूर्ति काफी पुरानी है जिसे नेपाल से लाया गया था. इस मंदिर में जो अद्भुत प्रतिमा विराजमान है उसके बारे में मान्यता ये है कि वह 11वीं शताब्दी की है. प्रतिमा में शिव-पार्वती अपने पूरे परिवार के साथ आसन पर बैठे हैं जिनके ऊपर सांप फन फैलाकर बैठा हुआ है. कहा जाता है कि इस प्रतिमा को नेपाल से लाया गया था जो उज्जैन के अलावा कहीं भी नहीं पाई जाती है. यह दुनिया भर का एकमात्र मंदिर है जिसमें भगवान शिव अपने परिवार के साथ सांपों की शय्या पर विराजमान दिखाई देते हैं.

तीन बार होती है पूजा

मान्याताओं के मुताबिक, भगवान नागचंद्रेश्वर की त्रिकाल पूजा करने की परंपरा रही है. त्रिकाल पूजा का मतलब तीन अलग-अलग समय पर पूजा करना है. पहली पूजा मध्यरात्रि में महानिर्वाणी के समय होती है, दूसरी पूजा नागपंचमी के दिन दोपहर में शासन करता है और तीसरी पूजा नागपंचमी की शाम को की जाती है. भगवान महाकाल की पूजा के बाद मंदिर समिति इस पूजा को करती है. जिसके बाद वापस यह मंदिर रात 12 बजे एक साल के लिए बंद हो जाता है.

नागपंचमी पर खुलते हैं कपाट

सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को पूरे देश में नाग पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है. इस तिथि के मुताबिक़ इस साल नाग पंचमी 2 अगस्त को पड़ने वाले है. बता दें, इस दिन स्त्रियां नाग देवता की पूजा करती हैं और सांपों को दूध पिलाने की भी खूब मान्यता है. इतना ही नहीं इस दिन नाकों की पूजा भी की जाती है और उन्हें गाय के दूध से स्नान भी करवाया जाता है. मान्यता है कि जो लोग नाग पंचमी के दिन नाग देवता के साथ भोलेनाथ की पूजा और रुद्राभिषेक करते हैं उन लोगों के जीवन से कालसर्प दोष खत्म हो जाता है. इसके अलावा राहु और केतु की अशुभता भी दूर होती है.

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Riya Kumari

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