नई दिल्ली : आज हम आपको दुनिया की सबसे बड़ी घटनाओं के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने दुनिया का इतिहास बदल दिया. ऐसी घटनाएं जिससे बड़े स्तर पर तबाही हुई और कई लोग बर्बादी की कगार पर आ गए. ये घटनाएं दुनिया के सबसे बड़े युद्धों की तरह जानी जाती रहेंगी. हाल ही में यूक्रेन और रूस के युद्ध को देखा. इस युद्ध ने आशंका बढ़ा दी थी कि दुनिया तीसरे विश्व युद्ध को देख सकती है. नॉस्त्रेदमस (Nostradamus) की मानें अगर तीसरा विश्व युद्ध हुआ तो दुनिया तबाह हो जाएगी। कई देशों का अस्तित्व विश्व मानचित्र से मिट जाएगा. आज हम आपको युद्ध की वो तस्वीरें दिखाने वाले हैं जो इस बात को साबित करती हैं कि मानव जनित युद्ध कितनी तबाही ला सकते हैं.
प्रथम विश्वयुद्ध, ये वो दौर था जब दुनिया ने पहली बार व्यापक युद्ध की तस्वीर देखी। दुनिया में जहाँ भी यूरोपीय ताकतों का आधिपत्य था ये युद्ध वहां लड़ा गया. कोई युद्ध एशिया, यूरोप, अमेरिका, अफ्रीका में समान ताकत के साथ लड़ा जा रहा था ये पहली बार था. 28 जुलाई 1914 को शुरू हुआ ये युद्ध 11 नवंबर 1918 तक चलता रहा यानी पूरे 4 साल, 3 महीने और 2 हफ्ते तक ये युद्ध चला. करीब 3.9 करोड़ लोग इस युद्ध की वजह से प्रभावित हुए थे.
इन सभी सैनिकों में जर्मन साम्राज्य के 13 लाख 50 हजार के करीब सैनिक थे. रूस को करीब 12 लाख लोगों की क्षति उठानी पड़ी थी. इस युद्ध के परिणामस्वरूप जर्मनी, रूसी, ऑस्ट्रियन-हंगेरियन और ऑटोमन साम्राज्य ख़त्म हो गए और कई नए देश दुनिया के नक़्शे पर उभरे, खासतौर पर यूरोप में. इस युद्ध के परिणामस्वरूप ही विश्व में शांति की स्थापना के लिए पहली बार लीग ऑफ नेशंस जैसा विश्वव्यापी संगठन सामने आया.
द्वितीय विश्वयुद्ध प्रथम विश्वयुद्ध से भी अधिक घातक साबित हुआ. इस युद्ध में खतरनाक हथियारों की नुमाइश और मासूम आबादी का बड़े स्तर पर विनाश हुआ. 1 सितंबर 1939 को जर्मनी के पोलैंड पर हमले से इस युद्ध की शुरुआत हुई और जापान पर अमेरिका के परमाणु बम हमले से 2 सितंबर 1945 को यह युद्ध ख़त्म हुआ. ये युद्ध पूरे 6 साल और 1 दिन चला था. इस युद्ध में यूरोप, एशिया, अमेरिका, अफ्रीका के लगभग सभी देश शामिल हुए. इस कारण सभी मजबूत देशों की कमर टूट गई थी. इस युद्ध में 7 करोड़ 30 लाख लोग मारे गए. परमाणु ताकत के विनाश को इसी युद्ध में देखा गया. आज भी हिरोशिमा और नागासाकी की तस्वीरें दिल को दहला देती हैं. ये आज तक का सबसे खतरनाक हमला है.
वाटरलू का युद्ध फ्रांस के महान राष्ट्रवादी योद्धा नेपोलियन का अंतिम युद्ध था जो 1815 में लड़ा गया था. युद्ध करने वाले देशों में एक तरफ फ्रांस था तो दूसरी तरफ ब्रिटेन, रूस, प्रशा, ऑस्ट्रिया, हंगरी की सेना लड़ने के लिए तैयार थी. युद्ध में हारने के बाद नेपोलियन ने आत्मसमर्पण कर दिया था. इस युद्ध ने एक लाख लोगों की जान ले ली थी और फ्रांस की पराजय हुई थी. हैरानी की बात ये ही कि ये युद्ध केवल एक दिन तक चला था.
यह शीत युद्ध काल मे ये पहला महत्वपूर्ण युद्ध लड़ा गया था. ये युद्ध कोरिया के बहाने दुनिया पर वर्चस्व स्थापित करने के लिए लड़ा गया था. इस युद्ध में उत्तर कोरिया की ओर से साम्यवादी शक्तियों जैसे चीन और रूस ने भी अप्रत्यक्ष हिस्सा लिया था. वहीं दूसरी ओर दक्षिण कोरिया की ओर से अमेरिका और ब्रिटेन युद्ध में शामिल हुए. 25 जून 1950 से लेकर 27 जुलाई 1953 तक पूरे 3 साल 1 महीने और 2 दिन तक चले इस युद्ध ने 5 लाख सैनिक और 25 लाख आम लोगों की जान ले ली थी. आज के समय में भी दोनों खेमों में तानातानी बनी रहती है.
सिकंदर महान की सेना और फारस (ईरान) के राजा डेरियस उर्फ दारा की सेना में अर्बेला की लड़ाई हुई थी. दोनों गुटों की पहली भिड़ंत गौगामेला में हुई थी जो आज तक की सबसे घातक लड़ाइयों में से एक है. इस युद्ध में लगभग 3 लाख ईरानी सैनिकों ने अपनी जान गवाईं. इसी युद्ध के बाद से सिकंदर ने युद्ध में अपनी सर्वोच्चता स्थापित की. वो न सिर्फ खुद रणभूमि में था, बल्कि दारा पर हमला करने वाली अंतिम टुकड़ी का नेतृत्व भी कर रहा था जो सिकंदर के शेरदिल होने की निशानी है.
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