नई दिल्ली: रिंकू सिंह राही की जीवन कहानी धैर्य और दृढ़ संकल्प से भरी है, क्योंकि वह एक गरीब परिवार से उठकर एक आईएएस अधिकारी बने. राही जो हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात करने वाले 16 आईएएस प्रशिक्षुओं में से थे, रिंकू सिंह राही का मानना है कि वह अब भारतीय प्रशासनिक सेवा के माध्यम से भ्रष्टाचार से अधिक प्रभावी ढंग से लड़ सकते हैं.
राही का सफर साल 2007 में शुरू हुआ जब उन्होंने पीसीएस परीक्षा पास की और जिला समाज कल्याण अधिकारी बने. जून 2008 में उन्हें मुज़फ़्फ़रनगर में तैनात किया गया, जहां उन्होंने कई सुधार किए, जैसे प्रत्येक स्कूल और कॉलेज को भेजी जाने वाली छात्रवृत्ति निधि की राशि को समाचार पत्रों में प्रकाशित करना अनिवार्य कर दिया, रिपोर्ट के मुताबिक इस पारदर्शिता ने समाज कल्याण विभाग में कई भ्रष्टाचार घोटालों को उजागर किया, जो कुछ लोगों को रास नहीं आया.
उनके भ्रष्टाचार विरोधी प्रयासों के कारण हिंसक विरोध हुआ. मार्च 2009 में बैडमिंटन खेलते समय उन्हें सात गोलियां लगीं. उनके सिर में तीन गोलियां लगीं, जिनमें से एक अभी भी वहीं फंसी हुई है. उनकी एक आंख चली गई, साथ ही उनका जबड़ा टूट गया. इसके बावजूद वह चार महीने अस्पताल में रहने के बाद वापस लौटे और आईएएस-पीसीएस कोचिंग सेंटर की कमान संभाली.
भ्रष्टाचार के खिलाफ राही की लड़ाई के कारण उन्हें विरोध प्रदर्शन करना पड़ा और विभिन्न घोटालों को उजागर करने के लिए साल 2018 में उन्हें निलंबित कर दिया गया. साल 2022 में उन्होंने विकलांगता कोटा के तहत आईएएस परीक्षा उत्तीर्ण की. उनकी कहानी उम्मीदवारों को असफलता से न डरने के लिए प्रोत्साहित करती है, क्योंकि हर असफलता एक सबक है जो आगे बढ़ने में मदद करती है. राही की कहानी दृढ़ संकल्प और मेहनत की मिसाल है.
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