नई दिल्ली: 13 जनवरी से प्रयागराज में महाकुंभ 2025 शुरू हो गया है. पहला शाही स्नान 14 जनवरी को मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर हुआ था. संगम तट पर हर 12 साल में आयोजित होने वाला यह आयोजन हिंदू धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक मेला माना जाता है। इस पवित्र अवसर पर लाखों श्रद्धालु संगम में स्नान करके अपने पापों से छुटकारा पाने का प्रयास करते हैं। इस बार महाकुंभ में नागा साधुओं के अखाड़ों और साधु-संतों के अनोखे स्वरूप ने लोगों का ध्यान खींचा है. इनमें सबसे प्रसिद्ध हैं ‘कांटे वाले बाबा’, जो अपनी अनोखी साधना के लिए मशहूर हैं।
भक्तों को चौंका दिया
महाकुंभ 2025 में ‘कांटे वाले बाबा’ के नाम से मशहूर संत रमेश कुमार मांझी ने भक्तों को चौंका दिया. बाबा कांटों पर सोते हैं और अपने शरीर को कांटों से ढकते हैं। इस दृश्य को देखने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. बाबा के मुताबिक, वह पिछले 40-50 सालों से यह कठिन साधना कर रहे हैं। कांटा बाबा कहते हैं, ‘भगवान की कृपा है कि मैं कांटों पर लेट पा रहा हूं। इससे मुझे कभी कोई नुकसान नहीं होता, बल्कि मेरे शरीर को फायदा होता है। मुझे जो दक्षिणा मिलती है उसका आधा भाग मैं दान कर देता हूं और शेष से अपना खर्च चलाता हूं।
आस्था का प्रदर्शन है
कांटे वाले बाबा की पूजा न केवल आस्था का प्रदर्शन है, बल्कि यह समाज को यह संदेश भी देती है कि कठिन तपस्या और धैर्य से हर कठिनाई को दूर किया जा सकता है। उनके अनुसार यह साधना उन्हें मानसिक और शारीरिक लाभ पहुंचाती है। महाकुंभ 2025 की झलकियां सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रही हैं. श्रद्धालु महाकुंभ के वीडियो और तस्वीरें शेयर कर रहे हैं, जिसमें कांटे वाले बाबा खास ध्यान खींच रहे हैं.
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