नई दिल्ली। भारत की करेंसी नोट को छापने का काम, भारत की रिज़र्व बैंक के द्वारा किया जाता है। जिसमें हर नोट पर “मैं धारक को 10/20/50/100/500 या 500 रूपये अदा करने का वचन देता हूँ” ये जरूर लिखा हुआ रहता(khabar Jara Hatkar) है। दरअसल, यह RBI के गवर्नर की शपथ होती है कि जिसके पास भी यह नोट है उसको हर हाल में उसकी लिखी गयी कीमत देने का दायित्व RBI के गवर्नर का है।
बता दें कि भारत का केन्द्रीय बैंक, भारतीय रिजर्व बैंक है जो कि नोटों की छपाई करता है। नोट पर भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के हस्ताक्षर होते हैं। जबकि सन 1935 से पहले, मुद्रा छपाई की जिम्मेदारी भारत सरकार के पास थी। जिसके बाद, 1 अप्रैल, 1935 को भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 के तहत भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना की गई। जिसका मुख्यालय मुम्बई में है। भारतीय रिजर्व बैंक को भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 के आधार पर मुद्रा प्रबंधन की भूमिका प्रदान की गई। भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम की धारा 22 के तहत, रिज़र्व बैंक को नोट जारी करने का अधिकार है।
भारत में नोटों की छपाई का काम न्यूनतम आरक्षित प्रणाली (Minimum Reserve System) के आधार पर होता है। यह प्रणाली 1957 से भारत में लागू है। जिसके अनुसार रिज़र्व बैंक को यह अधिकार दिया गया है कि वह RBI फंड में कम से कम 200 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति अपने पास हर समय(khabar Jara Hatkar) रखें। जिसमें 115 करोड़ का सोना और शेष 85 करोड़ की विदेशी संपत्ति रखना आवश्यक है। इतनी संपत्ति रखने के बाद RBI देश की जरुरत के हिसाब से कितनी भी बड़ी मात्रा में नोट की छपाई कर सकती है। हालांकि, इसके लिए उसे सरकार से अनुमति लेनी पड़ेगी।
हर नोट पर रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया के द्वारा यह कथन प्रिंट किया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि, आरबीआई जितने रूपये की नोट छापती है उतने रुपये का सोना वह अपने पास रिज़र्व करती है। इसलिए वह धारक को ये विश्वास दिलाने के लिए यह कथन लिखती है कि अगर आपके पास सौ रुपये का नोट है तो इसका मतलब यह है कि रिज़र्व बैंक के पास आपके सौ रुपये का सोना रिज़र्व है। बिल्कुल इसी तरह से अन्य नोटों पर भी यह लिखा होने का ये मतलब है कि जो नोट आपके पास है, आप उस नोट के धारक हैं और उसके मूल्य के बराबर आपका सोना रिजर्व बैंक के पास सुरक्षित रखा है और रिजर्व बैंक वो सोना उस नोट के बदले आपको देने के लिए वचन देता है।
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दरअसल, RBI 200 करोड़ की यह संपत्ति अपने पास इसलिए रखता है ताकि नोट पर रिज़र्व बैंक के गवर्नर की शपथ “मैं धारक को ….. रुपये अदा करने का वचन देता हूँ” को निभा सके। ऐसे में किसी भी विशेष परिस्थिति (जैसे गृह युद्ध, विश्व युद्ध या कोई भयानक प्राकृतिक आपदा, मंदी या अत्यधिक महंगाई इत्यादि) में भी RBI को डिफाल्टर घोषित नही किया जा सकता। यानी कि जिसके हाथ में भी यह शपथ वाला नोट होगा उसको उतना भुगतान करने का दायित्व RBI का है। अगर कोई व्यक्ति किसी सही नोट को लेने से इंकार करता है तो इसका सीधा मतलब यह है कि वह RBI के गवर्नर अर्थात सरकार के प्रतिनिधि की आज्ञा को(khabar Jara Hatkar) नहीं मान रहा है अर्थात कानून को तोड़ रहा है। ऐसे में उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाएगी।
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