नई दिल्ली। पुराने समय से ही संतों को सम्मानजनक दृष्टि से देखा जाता रहा है। ये माना जाता है कि वे ब्रम्हचर्य का पालन करते हैं। लेकिन कई समुदाय ऐसे हैं जिनके रीति-रिवाज़ बहुत अनोखे और बाकी रिवाज़ों से अलग होते हैं। दरअसल, हम यहां बात कर रहे हैं अफ्रीकी देश घाना की। जहां एक […]
नई दिल्ली। पुराने समय से ही संतों को सम्मानजनक दृष्टि से देखा जाता रहा है। ये माना जाता है कि वे ब्रम्हचर्य का पालन करते हैं। लेकिन कई समुदाय ऐसे हैं जिनके रीति-रिवाज़ बहुत अनोखे और बाकी रिवाज़ों से अलग होते हैं। दरअसल, हम यहां बात कर रहे हैं अफ्रीकी देश घाना की। जहां एक 12 साल की लड़की ने 63 साल के एक संत से विवाह रचा लिया है (Khabar Jara Hatkar)। अब इस खबर के फैलने के बाद लोग इसपर अपनी नाराजगी जता रहे हैं। हालांकि, इस समुदाय से इस संबंध में जो जानकारी दी गई है वो काफी हैरान कर देने वाली है।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, घाना में नुंगुआ कम्युनिटी निवास करती है। जिनके रीति-रिवाज काफी अलग हैं। दरअसल, दो दिन पहले ही इनके धर्मगुरु नुउमो बोरकेटे लावेह त्सुरु XXXIII ने अपने ही समुदाय की 12 साल की लड़की से विवाह कर लिया है (Khabar Jara Hatkar)। ये विवाह पारंपरिक तरीके से संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में समुदाय का प्रत्येक व्यक्ति शामिल हुआ। इस विवाह को करने वाले धर्मगुरु की उम्र 63 साल है। वहीं घाना में शादी करने की कानूनी न्यूनतम आयु 18 वर्ष निर्धारित है। ऐसे में इस शादी की वीडियो वायरल होने के बाद से हर तरफ हंगामा मच गया है।
वहीं इस शादी का जो वीडियो सामने आया उसमें कई महिलाएं उस लड़की को कपड़े पहनने का तरीका सिखा रही थीं। साथ ही वो गिफ्ट में मिले सुगंधित परफ्यूम का भी इस्तेमाल करने की सलाह दे रही थी। वीडियो में लोगों को उस लड़की को पत्नी की तरह कर्तव्य निभाने के गुण सिखाते भी सुना जा सकता है। इस वीडियो को देखने के बाद लोग काफी नाराजगी दिखाते हुए इसे बाल उत्पीड़न बता रहे हैं। यही नहीं कई लोगों ने इसे जबरदस्ती शादी भी बताया।
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हालांकि, बाद में इस कम्युनिटी की तरफ से एक बयान भी जारी किया गया जिसमें कहा गया कि लड़की से जबरदस्ती शादी नहीं की (Khabar Jara Hatkar) गई है। ये आलोचना वो लोग कर रहे हैं, जो हमारे रीति-रिवाजों और परंपरा को नहीं समझते। वहीं कम्युनिटी के नेता एनआईआई बोर्टे कोफी फ्रैंकवा द्वितीय का कहना है कि आलोचना अज्ञानता की वजह से हो रही है। पुजारी की पत्नी के रूप में लड़की की भूमिका “विशुद्ध रूप से परंपरा और रिवाज” है।
उन्होंने कहा कि ये लड़की 6 साल की उम्र से पुजारी को अपने पति के रूप में पाने के लिए तपस्या कर रही थी। इससे उसकी पढ़ाई बिल्कुल भी नहीं रुकी। उसकी रोजाना की जिंदगी पर कोई असर नहीं पड़ा। लड़की को केवल एक रीति रिवाज के तरह ही पत्नी बनाया गया है। श्री त्सुरु नुंगुआ समुदाय के सर्वोच्च पुजारी हैं। वो हमारे समुदाय की रक्षा के लिए प्रार्थना करते हैं। हमारी सांस्कृतिक प्रथाओं को लागू करने का काम करते हैं। हालांकि, रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया जा रहा है कि ये लड़की आगे चलकर पुजारी के बच्चे की मां भी बन सकती है।
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