khabar Jara Hat kar: समलैंगिक बनने के पीछे हॉर्मोन्स भी हैं जिम्मेदार

नई दिल्लीः समलैंगिकता एक ऐसा व्यवहार है इसमें व्यक्ति को अपने ही लिंग के लोगों के प्रति आकर्षण और प्यार की भावना होती है। समलैंगिकता के लिए कई कारण जिम्मेदार है। वहीं इसमें से एक है हॉर्मोनल कारण भी है। कई रिसर्च से पता चला है कि प्रीनेटल एंड्रोजन का स्तर, जोकि गर्भावस्था के दौरान […]

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khabar Jara Hat kar: समलैंगिक बनने के पीछे हॉर्मोन्स भी हैं जिम्मेदार

Janhvi Srivastav

  • January 11, 2024 8:46 pm Asia/KolkataIST, Updated 10 months ago

नई दिल्लीः समलैंगिकता एक ऐसा व्यवहार है इसमें व्यक्ति को अपने ही लिंग के लोगों के प्रति आकर्षण और प्यार की भावना होती है। समलैंगिकता के लिए कई कारण जिम्मेदार है। वहीं इसमें से एक है हॉर्मोनल कारण भी है। कई रिसर्च से पता चला है कि प्रीनेटल एंड्रोजन का स्तर, जोकि गर्भावस्था के दौरान शिशु को प्रभावित करता है, वह समलैंगिक व्यवहार के लिए कारण बन सकता है। इसके अलावा, दिमाग के कुछ हिस्सों में संरचनात्मक अंतर पाए गए हैं जो समलैंगिक लोगों में काफी आम हैं। दरअसल, हॉर्मोनल कारक अकेले समलैंगिकता को नहीं निर्धारित करते। व्यक्तिगत अनुभव, सामाजिक-सांस्कृतिक औरपालन-पोषण कारण भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

लड़को का आवाज लड़कियों की तरह क्यों होता है?

कई रिसर्च से पता चला है कि जन्म के समय शिशुओं में टेस्टोस्टेरोन(khabar Jara Hat kar) जैसे हॉर्मोन्स का स्तर असामान्य रूप से अधिक या कम होने से समलैंगिक व्यवहार विकसित करने की संभावना बढ़ जाती है। जैसे कि,जन्म के बाद लड़के में टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन की कमी होती है तो लोगों से घुलने-मिलने में इट्रेस्ट न लेना, आवाज पतली होना, लड़कों से ज्यादा बात न करना जैसे लक्षण देखने को मिल सकते हैं। वहीं लड़कियों में टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन की अधिकता होने पर शरीर लड़कियों के मुकाबले आवाज में भारीपन आना, भारी दिखना, चेहरे पर बाल और(khabar Jara Hat kar) ऑर्गन में बदलाव देखने को मिलते हैं।

जानें भारत में स्थिती

साल 2018 में, सुप्रीम कोर्ट ने सेक्शन 377 को(khabar Jara Hat kar) असंवैधानिक घोषित किया। लेकिन, सामाजिक स्तर पर भेदभाव और समस्याएंं बनी हुई हैं। वहीं कई बार समाज और परिवार द्वारा समलैंगिक लोगों को स्वीकार नहीं किया जाता और उनका मजाक उड़ाया जाता है। चाहे कोई भी यौन अभिवृत्ति क्यों न हो, हर इंसान की पसंद का सम्मान किया जाना चाहिए। हमें समझना चाहिए कि यौन अभिवृत्ति हर किसी की निजी बात है। समलैंगिक लोगों से नफरत या उनका मजाक उड़ाना गलत है। यह हॉर्मोन्स के वजह से होता है न कि कोई बीमारी है।

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