भारत का सबसे शातिर ठग: जिसने ताजमहल, लाल किला और संसद को कई बार बेचकर सबको चौंका दिया!

नई दिल्ली: दुनिया में कई ठगों की कहानियां सुनने को मिलती हैं, लेकिन भारत में एक ऐसा ठग था, जिसने ठगी के अपने कारनामों से देश ही नहीं, बल्कि विदेशों तक में चर्चा बटोरी। इस शातिर ठग का नाम था मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव, जिसे लोग नटवरलाल के नाम से जानते हैं। उसने ऐसी-ऐसी ठगी की कि आज भी लोग उसके किस्से सुनकर हैरान रह जाते हैं।

कौन था नटवरलाल

मिथिलेश का जन्म बिहार के सिवान जिले के बंगरा गांव में हुआ था। उसे पढ़ाई में ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन फुटबॉल और शतरंज खेलने में माहिर था। पढ़ाई में कमजोर होने की वजह से वह मैट्रिक की परीक्षा में फेल हो गया और उसके पिता ने उसे खूब डांटा। इसी के बाद उसने ठगी की दुनिया में कदम रखा। पहली ठगी उसने अपने पड़ोसी से की, जब वह बैंक में ड्राफ्ट जमा करने गया और फर्जी हस्ताक्षर करके उसके पैसे निकाल लिए। पिता की डांट से बचने के लिए वह घर छोड़कर कोलकाता भाग गया।

ठगी का सफर: कैसे बना नटवरलाल

कोलकाता में उसने कॉमर्स में ग्रेजुएशन किया और एक सेठ के बेटे को पढ़ाने का काम शुरू किया। एक दिन, जब उसने सेठ से पढ़ाई के लिए पैसे मांगे तो सेठ ने उसे पैसे देने से मना कर दिया। इस बात से नाराज होकर उसने सेठ से 4.5 लाख रुपये ठग लिए। यहीं से नटवरलाल की ठगी की कहानी शुरू हुई और उसने बड़े-बड़े लोगों को अपना शिकार बनाना शुरू कर दिया।

ताजमहल और लाल किला तक बेचा!

नटवरलाल की सबसे हैरान करने वाली ठगी यह थी कि उसने 3 बार ताजमहल, 2 बार लाल किला, और एक बार राष्ट्रपति भवन बेच दिया। इतना ही नहीं, उसने एक बार संसद भवन को भी बेच दिया, जब सारे सांसद उसी में मौजूद थे! उसकी ठगी की हद तब हो गई जब उसने देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के हस्ताक्षर की नकल करके कई लोगों को धोखा दिया। टाटा और बिड़ला जैसे बड़े उद्योगपतियों को भी वह ठगने में सफल रहा।

बार-बार गिरफ्तार, फिर भी फरार

नटवरलाल के खिलाफ 8 राज्यों में 100 से ज्यादा मामले दर्ज थे। उसे 9 बार गिरफ्तार किया गया, लेकिन हर बार वह जेल से फरार हो जाता था। अदालत ने उसे 113 साल की सजा सुनाई थी। आखिरी बार जब वह पुलिस के हाथों पकड़ा गया, तब उसकी उम्र 84 साल थी। लेकिन 1996 में, जब उसे इलाज के लिए एम्स ले जाया जा रहा था, वह फिर पुलिस को चकमा देकर भाग निकला। इसके बाद उसका क्या हुआ, यह आज तक कोई नहीं जान पाया।

कैसे बन गया ठगी का बादशाह?

नटवरलाल ने वकालत की पढ़ाई की थी, जिससे उसे फर्जी दस्तावेज तैयार करने और कानूनी प्रक्रियाओं का गहरा ज्ञान था। उसका व्यक्तित्व इतना प्रभावशाली था कि वह बड़ी आसानी से अमीर और प्रभावशाली लोगों को भी धोखा दे देता था। उसकी चालाकी और समझ ने उसे भारत का सबसे बड़ा ठग बना दिया।

 

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