नई दिल्ली: हमारे देश में ऐसे कई रीति-रिवाज प्रचलित हैं जिनके बारे में हम पूरी तरह से जानते भी नहीं है। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू के पिणी गांव में ऐसा ही एक रिवाज माना जाता है। इस रिवाज में महिलाएं कपड़ें नहीं पहनती हैं। ऐसी परंपरा शायद ही और कहीं मानी जाती हो, परंतु इस परंपरा का पालन पिणी गांव में किया जाता है। आइए जानें क्या है इससे जुड़ी कहानी।
पिणी गांव हिमालय की गोद में बसा है। पिणी गांव हिमाचल प्रदेश में बसा एक बेहद खूबसूरत गांव है। सदियों से पिणी गांव अपनी अनूठी परंपराओं के लिए जाना जाता है। यहां आपको कई ऐसे रीति-रिवाजों के बारे में सुनने को मिलेगा, जिनके बारे में आपने शायद ही कभी पहले सुना हो।इन परंपराओं में से एक है कि इस गांव की महिलाएं कुछ खास अवसरों पर कपड़े नहीं पहनती हैं। पिणी गांव में सदियों से यह परंपरा चली आ रही है और आज भी इसका पालन किया जाता है।
पिणी गांव में काफी पहले से कपड़े न पहनने वाली परंपरा चली आ रही है। इस परंपरा के तहत गांव में सावन के महीने में पांच दिनों तक महिलाएं कपड़े नहीं पहनती हैं। इतना ही नहीं महिलाएं ऊन से बने एक पटके का इस्तेमाल करके अपना शरीर ढकती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस परंपरा का जो महिला पालन नहीं करती है, उसके परिवार में कोई दुर्घटना हो जाती है। इसी कारण से आज के समय में भी यहां की महिलाएं इस परंपरा का पालन कर रही हैं। पिणी गांव में कई कहानियां इस परंपरा के पीछे प्रचलित हैं। इनमें कुछ कहानियां देवी-देवताओं से जुड़ी है, तो कुछ मानते हैं कि यह परंपरा प्रकृति के साथ एकता स्थापित करने से जुड़ी है।
एक कहानी इस परंपरा से जुड़ी हुई है। एक समय में एक राक्षस का इस गांव में काफी आतंक फैला हुआ था। राक्षस घरों से सजी-धजी महिलाओं को उठाकर ले जाता था। तब इसके जुल्म से परेशान होकर यहां के देवता ने उस राक्षस का वध किया था। उसी समय से इस गांव में इस परंपरा की शुरुआत हुई। इस दौरान गांव की महिलाएं पांच दिनों तक कपड़े नहीं पहनतीं। हालांकि, अब इस गांव की हर महिला इस परंपरा का पालन नहीं करती। इस दौरान गांव की कुछ महिलाएं पूरी तरह से कपड़े न पहनने के बजाए एक पतला कपड़ा पहनती हैं और जो महिला इस परंपरा का पालन करना चाहती है, वो इन पांच दिनों तक घर के अंदर ही रहती है। बाहर नहीं निकलती और न ही किसी से मिलती है। इस दौरान पति-पत्नी भी एक-दूसरे से नहीं मिलते, न एक-दूसरे से बात करते हैं।
पिणी गांव में इस त्योहार में कुछ नियमों का पालन पुरुषों को भी करना पड़ता है। इस दौरान गांव के पुरुष मांस-मछली या शराब का सेवन नहीं कर सकते। इस त्योहार को पिणी गांव के लोग काफी पवित्र मानते हैं और इसलिए इन पांच दिनों में किसी बाहर वाले का गांव में प्रवेश करना भी वर्जित है।
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