नई दिल्ली : पिछले कुछ समय से देश में रोबोट टैक्स लगाने पर बहस तेजी से चल रही है। यानी जो कंपनियां रोबोट का इस्तेमाल कर रही हैं, उन्हें टैक्स देना होगा। वहीं, कुछ देशों में इसे लागू भी किया जा रहा है। ऐसे में क्या आप जानते हैं कि दुनियाभर में कुछ टैक्स इतने […]
नई दिल्ली : पिछले कुछ समय से देश में रोबोट टैक्स लगाने पर बहस तेजी से चल रही है। यानी जो कंपनियां रोबोट का इस्तेमाल कर रही हैं, उन्हें टैक्स देना होगा। वहीं, कुछ देशों में इसे लागू भी किया जा रहा है। ऐसे में क्या आप जानते हैं कि दुनियाभर में कुछ टैक्स इतने अजीबोगरीब हैं कि उन्हें सुनकर आप अपनी हंसी नहीं रोक पाएंगे । आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ टैक्स के बारे में।
आपको जानकर हैरानी होगी कि डेनमार्क और कुछ यूरोपीय देशों में गायों के पादने पर टैक्स लगाया जाता है। दरअसल, यह टैक्स ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए लगाया जाता है। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, गायों द्वारा छोड़ी गई हवा यूरोप के कुल ग्रीनहाउस में 18 फीसदी का योगदान देती है। आयरलैंड में हर गाय पर 18 डॉलर की दर से यह टैक्स लगाया जाता है, जबकि डेनमार्क के किसानों को हर गाय पर 110 डॉलर का टैक्स देना पड़ता है।
यह सुनकर आपको हंसी आएगी, लेकिन 1705 में रूस के शासक पीटर द ग्रेट ने दाढ़ी पर टैक्स लगाया था। दरअसल पीटर चाहते थे कि रूसी समाज यूरोपीय देशों की तरह आधुनिक हो और लोग नियमित रूप से दाढ़ी कटवाएं। उस समय रूस में दाढ़ी टैक्स देने वालों को एक टोकन मिलता था। जिसे उन्हें हर समय अपने साथ रखना होता था।
यह सुनने में अजीब लग सकता है लेकिन 1696 में इंग्लैंड के राजा विलियम तृतीय ने खिड़कियों पर टैक्स लगा दिया था। ऐसे में जिस व्यक्ति के पास जितनी ज्यादा खिड़कियां होती थीं, उसे उतना ही ज्यादा टैक्स देना पड़ता था। बाद में लोगों ने अपने घरों में खिड़कियों की संख्या कम करनी शुरू कर दी, जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होने लगीं। जिसके कारण बाद में इस टैक्स को खत्म कर दिया गया।
भारत के त्रावणकोर राज्य में समाज के वंचित वर्ग की महिलाओं को स्तन कर देना पड़ता था। दरअसल, उस समय ‘निचली जातियों’ की महिलाओं को अपने स्तन ढकने की आज़ादी नहीं थी। ऐसे में उन्हें अपने स्तन ढकने के लिए कर देना पड़ता था। ऐसे में कर संग्रहकर्ता स्तनों को मापते थे और उसी के हिसाब से कर वसूलते थे, जिससे परेशान होकर एक बहादुर लड़की ने अपना स्तन काटकर कर संग्रहकर्ता को दे दिया। जिसके बाद इस कर को समाप्त कर दिया गया।
जब चीन में आर्थिक संकट चल रहा था, उस दौरान मध्य चीन के हुबेई प्रांत में स्थानीय प्रशासन ने अधिक राजस्व एकत्र करने और स्थानीय निर्माताओं को बढ़ावा देने के लिए बाहरी सिगरेट पीने पर कर लगा दिया था।
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