मिट्टी के बर्तन: By- Alina Khan फिरते हमें बाजारों में बिकते हुए दिख जाते है। ये बर्तन जो आज कल की जनरेशन को कुछ साल पहले आउटडेटेड लगते थे वो अब सामान्य रूप से उन्हें कूल लगने लगे हैं। बाजारों से घरों तक लोगों के द्वारा इन्हें खूब पसंद किया जा रहा हैं, साथ ही […]
फिरते हमें बाजारों में बिकते हुए दिख जाते है। ये बर्तन जो आज कल की जनरेशन को कुछ साल पहले आउटडेटेड लगते थे वो अब सामान्य रूप से उन्हें कूल लगने लगे हैं। बाजारों से घरों तक लोगों के द्वारा इन्हें खूब पसंद किया जा रहा हैं, साथ ही अब कुल्फी से लेकर बिरयानी और तंदूरी चाय भी इन्हीं बर्तनों में मिल रही है।
• गैस और कब्ज़ की समस्या दूर होती है।
• खाने का PH वैल्यू बैलेंस रहता हैं।
• इसमें बनी दाल और सब्जी 100% माइक्रो न्यूट्रिएंट्स रहती है।
• खाना बनाने में तेल कम लगेगा।
• बाज़ार से लाने के बाद इन्हें 12 घंटो तक पानी में भिगोए।
• खाना बनाने के लिए लकड़ी के चम्मच का इस्तेमाल करें।
• हमेशा खाने को मीडियम आंच पर ही पकाएं तेज़ आंच से बर्तन टूट सकता है।
• इस्तेमाल करने से पहले ठीक तरह से चेक करे की इसमें कोई कंकड़ ,पत्थर या तिनका ना हो।
बर्तनों को धोने के लिए साबुन या लिक्विड वॉश का इस्तेमाल ना करे दाग धब्बों को साफ़ करने के लिए बेकिंग सोडा और नमक बर्तनों पर लगाए , अक्सर मसाले दार खाने की महक बर्तनों में रह जाती है उसके लिए नींबू का इस्तेमाल करे।
ज्यादातर लोग बाजारों में पॉलिश किए बर्तनों को खरीदेते है क्योंकि वो देखने में साधारण बरतनों के मुकाबले ज्यादा खूबसूरत दिखते हैं लेकिन ऐसे बर्तनों को खरीदने से बचें क्योंकि इसमें चमक के लिए सीसा , पारा और कई ऐसे केमिकल इस्तेमाल किए जाते हैं जो हमारी सेहत के लिए हानिकारक साबित होते है।
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