नई दिल्ली: क्या आप जानते हैं कि सालों पहले कभी दंत कथाओं में जिन विषकन्याओं के बारे में जिक्र किया गया है. वो असल में हनीट्रैप के लिए प्रयोग की जाती थी।
अधिकतर लोग हनीट्रैप नाम के शब्द से भली-भांति परिचित होंगे, जिन्हें मालूम नहीं है उन्हें बता दें कि किसी युवती के जरिए अपने दुश्मन से जरूरी जानकारियां निकलवाने को हनीट्रैप कहा जाता है. इसमें लड़की अपनी अदाओं के जरिए दुश्मन को अपने जाल में फंसाती है और उसके बाद उनसे जरूरी बातें उगलवाती है. कई कहानियों में आपने विषकन्याओं के बारे में जरूर सुना होगा. प्राचीन समय में इनका प्रयोग दुश्मनों को अपने जाल में फंसाने के लिए किया जाता था।
कौटिल्य के अर्थशास्त्र में विषकन्याओं का भी जिक्र किया गया है. चाणक्य ने चंद्रगुप्त के शासनकाल में ही विषकन्याओं की जरूरत को परख लिया था. इन विषकन्याओं का प्रयोग किसी मोहक हथियार के तौर पर किया जाता था. ये अपनी सुंदर अदाओं से दुश्मनों को अपनी ओर आकर्षित करती थी, उन्हें अपनी अदाओं का गुलाम बनाकर और उनसे जरूरी बातें निकलवा कर उनकी हत्या कर देती थी।
विषकन्याओं को बनाने के लिए छोटी उम्र की सुंदर लड़कियों को चुना जाता था. इन छोटी बच्चियों को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में जहर दिया जाता था. जहर की मात्रा इतनी होती थी कि उनकी जान न जाए. इसके बाद जहर की मात्रा थोड़ी-थोड़ी बढ़ाई जाती थी. जब उनके पूरे शरीर में जहर फैलने के बाद लड़कियों को नृत्य कला, संगीत कला और राज-काज जैसी कई तरह की चीजें सिखाई जाती थी. ट्रेनिंग पूरी होने के बाद इनका प्रयोग जासूसी और किसी खतरनाक हथियार के तौर पर किया जाता था. विषकन्या सबसे पहले दुश्मन का विश्वास जीतकर उन्हें अपने प्यार के जाल में फंसाती थी. फिर अपनी अदाओं से इन्हें लुभाकर खास बातें निकलवाती थी. इन लड़कियों की खून और थूक जहर के बराबर होता था. इन सभी विषकन्याओं से संबंध बनाने पर मौत हो जीती थी।
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