नई दिल्ली। Pink Colour History: अक्सर पिंक कलर को लड़कियों से जोड़कर देखा जाता है। कई बार ऐसा कहा भी जाता है कि पिंक कलर लड़कियों का कलर है। ऐसे में हर बार आपके मन में यह सवाल उठता होगा कि आख़िर पिंक कलर को लड़कियों का कलर बनाया किसने तथा कैसे धीरे-धीरे ये लड़कियों का कलर कहा जाने लगा? तो बता दें कि इसका कनेक्शन हिटलर से जुड़ा हुआ है। चलिए बताते हैं इसका इतिहास।
ये बात पहले विश्व युद्ध की है। बता दें कि साल 1914 का दौर था। एक ओर फ़्रांस की सेना थी तो वहीं ब्रिटिश नर्सों की वर्दी भी नीली हुआ करती थी। उस समय लड़कों और लड़कियों दोनों के लिए नीला ही कलर था। ये बात हिटलर के नाजी जर्मनी की है। यहां बंदियों को रखने वाले ‘कंसंट्रेशन कैंप’ में पहचान के लिए लोगों को अलग-अलग चिन्ह दिया जाता था।
उस वक्त यहूदियों को ‘यलो स्टार’ तो वहीं होमोसेक्सुअल्स को पिंक ट्रायंगल का चिह्न दिया गया। बस फिर क्या था इसके बाद से पिंक कलर को होमोसेक्सुऐलिटी से जोड़कर देखा जाने लगा। ऐसा भी कहा जाने लगा कि यह गैर मर्दों की पहचान है। इन सब के बारे में कंसंट्रेशन कैंप सर्वाइवर हाइंज हीगर बुक किताब ‘द मेन विथ द पिंक ट्रायंगल’ में विस्तार से बताया है। इसके बाद से पिंक कलर मर्दों से दूर होता गया तथा इसको लड़कियों का कलर माना जाने लगा।
गुलाबी रंग से जुड़ी कहानियां और भी हैं। जैसे कहा जाता है कि 1953 में अमेरिकी राष्ट्रपति ड्वाइट डी आइज़नहावर की पत्नी मेमी एक फ़ंक्शन में गुलाबी रंग की ड्रेस और नेकलेस पहनकर गई थीं, जो बहुत पॉपुलर हुई थी। बता दें कि मेमी अधिकतर पिंक ही पहनती थीं। उनको कई महिलाएं फ़ॉलो भी करती थीं।
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